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Shardiya Navratri 9th Day: नवमी तिथि को देवी सिद्धिदात्री की आराधना से होती है अष्ट सिद्धि और नव निधि की प्राप्ति

Shardiya Navratri 9th Day: नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की उपासना की जाती हैं। इस वर्ष नवमी 14 अक्टूबर गुरूवार को है। इस दिन नवरात्रि का समापन होता है और साधक नवमी को कन्या पूजन, हवन आदि का आयोजन करते हैं।

कौन हैं मां सिद्धिदात्री?

मां सिद्धिदात्री की कृपा से महादेव को 8 सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। ये सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व हैं।देवी सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर स्वरूप प्राप्त हुआ था। हिमाचल प्रदेश का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि जिस प्रकार देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई, उसी तरह देवी सिद्धिदात्री की उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि के साथ बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर रक्तवर्णी वस्त्र धारण कर विराजमान रहती हैं। देवी के चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है। मस्तक पर तेजोमयी मुकूट और चेहरे पर मंद मुस्कान ही मां सिद्धिदात्री की पहचान है।

देवी सिद्धिदात्री की पूजा

घी का दीपक प्रजेजवलित करने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना अति शुभ माना जाता है।देवी को फल या भोजन लाल वस्त्र में लपेट कर अर्पित करें। निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।

माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री का हवन

  • दुर्गा पूजा में नवमी तिथि को विशेष हवन किया जाता है। इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है।
  • सर्वप्रथम सिद्धिदात्री मां की तस्वीर या मूर्ति रखकर हवन किया जाता है।
  • हवन करते वक्त सभी देवी देवताओं के नाम से हवि यानी अहुति देनी चाहिए।
  • उसके पश्चात माता के नाम से अहुति देनी चाहिए।
  • दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत:सप्तशती के सभी श्लोक के साथ आहुति दी जा सकती है। देवी के बीज मंत्र “ओम ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार हवि दें।
  • भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा पश्चात अंत में इनके नाम से हवि देकर आरती करनी चाहिए। हवन के प्रसाद को भक्तों में वितरित करें।

ध्यान

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

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