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Shardiya Navratri 2nd Day: माता ब्रह्मचारिणी को लगाएं खीर का भोग, मिटेंगे कष्ट, मिलेगी सिद्धि

Shardiya Navratri 2nd Day: नवरात्रि के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी में ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण। इसका अर्थ है कि देवी ब्रह्मचारिणी तप का आचरण करने वाली हैं।

भोलेनाथ को पाने के लिए किया था कठोर तप

शास्त्रों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी ने महर्षि नारद के उपदेश के पश्चात महादेव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। कठोर तपस्या करने के कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी हुआ। माता ब्रह्मचारिणी का रूप शांतचित्त और मोहक है। मान्यता है कि देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

श्वेत वस्त्र धारण करने वाली है मां

माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करने वाली है और अष्टदल की माला पहनकर बांए हाथ में कमण्डल लिए हुए सुशोभित है। देवी ब्रह्मचारिणी को शक्कर या शक्कर से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। माता ब्रह्मचारिणी को भोग में खीर का भोग लगाया जा सकता है। देवी की आराधना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और देवी के देवालय की सफाई करने के पश्चात हाथों में एक फूल लेकर माता का ध्यान करें और प्रार्थना करें। देवी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। देवी को फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, समर्पित करें और इस मंत्र का जाप करें।

माता ब्रह्मचारिणी के मंत्र

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा

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