Mradhubhashi
Search
Close this search box.

Shardiya Navratri 2021: दुर्गा सप्तशती के पाठ से ऐसे करें शत्रु पीड़ा का नाश और विपुल धन की प्राप्ति

Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि के अवसर पर देवी की विभिन्न स्वरूपों में आराधना की जाती है। माता की उपासना करने के लिए देवी प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है और कलश की स्थापना कर आराधना प्रारंभ की जाती है। माता की उपासना में दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व है। दुर्गा सप्तशती के पाठ में कुछ विशेष सावधानियां रखनी पड़ती है। इन नियमों का पालन करने से देवी भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

सर्वप्रथम श्रीगणेश की करें आराधना

दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ करने के पहले प्रथम पूज्यनीय श्रीगणेश की पूजा करें। तत्पश्चात कलश पूजन करें, अखंड ज्योति की पूजा करें और नवग्रह का पूजन करें। दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें। पुस्तक की कुमकुम, अक्षत, हल्दी, मेंहदी, अबीर, गुलाल आदि से पूजा करें। दुर्गा सप्तशती की पूजा के बाद मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठे और चार बार आचमन करें।

दुर्गा सप्तशती का करें शापोद्धार

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले उसका शापोद्धार करना आवश्यक है क्योंकि दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र, ब्रह्मा, महर्षि वशिष्ठ और ब्रह्मर्षि विश्वामित्र जी द्वारा शापित है। इसलिए समस्त शापों के उद्धार के बगैर इसका सही फल प्राप्त नहीं होता है। दुर्गा सप्तशती में सर्वप्रथम कीलक स्तोत्र का पाठ करें, कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठन करें।

नर्वाण मंत्र का करे वाचन

दुर्गा सप्तशती का पाठ यदि एक दिन में करना संभव नहीं हो तो पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करें और दूसरे दिन शेष दो चरित्र का पाठ करें। या फिर एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों का पाठ करते हुए क्रम से सात दिन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का समापन करें। दुर्गा सप्तशती के पाठ के प्रारंभ में और बाद में नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे’ का पाठ अवश्य करें। देवी आराधना में नर्वाण मंत्र का विशेष शास्त्रोक्त महत्व है। इस मंत्र में ऊंकार, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली के बीजमंत्र हैं। श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का रोजाना पाठ करने से बेहतर बोलने की सिद्धि और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का वरदान प्राप्त होता है।

हिन्दी में भी कर सकते हैं दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती का पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें, जल्दबाजी और जोर-जोर से पाठ ना करें। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र में मां का स्वरूप काफी उग्र होता है। इसलिए बेहद विनम्र भाव से पाठ करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में करने में समस्या हो तो हिन्दी में भी पारायण किया जा सकता है।

शत्रु नाश के साथ लक्ष्मी की होती है प्राप्ति

दुर्गा सप्तशती के पाठ के पश्चात क्षमायाचना करना चाहिए, जिससे जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाए। प्रतिदिन पाठ के बाद कन्या पूजन करना भी आवश्यक है। दुर्गा सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से वाचन करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस क्रम को महाविद्या क्रम कहते हैं। दुर्गा सप्तशती के उत्तर, प्रथम और मध्य चरित्र का क्रम से पाठ करने से, शत्रु का नाश होता और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसको महातंत्री क्रम कहा जाता हैं।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट