Mradhubhashi
Search
Close this search box.

शहीद भगत सिंह की 115वीं जयंती आज, LG बोले- भारत को स्वतंत्र कराने के लिए उनकी वीरता और समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा

शहीद ए आजम भगत सिंह की आज 115वीं जयंती है। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजली दी। उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए उनकी वीरता और समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा। उपराज्यपाल ने कहा, ‘मां भारती के महान सपूत शहीद भगत सिंह को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनकी वीरता और समर्पण के लिए उन्हें इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। उनका साहस, समर्पण और सर्वोच्च बलिदान हर भारतीय को प्रेरित करता रहेगा।’

शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ था। देश को आजादी दिलाने के लिए भगत सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अंग्रेज अधिकारियों से टक्कर लेने वाले भगत सिंह को सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल में अंग्रेजी हुकूमत की प्रताड़ना झेलने के बाद भी भगत सिंह ने आजादी का मांग को जारी रखा। कोर्ट में केस के दौरान उन्हें मौका मिला कि वह देशभर में आजादी की आवाज को पहुंचा सकें। उन्हें अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुनाई थी और तय तारीख से एक दिन पहले यानी 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी थी।

  • भगत सिंह ने अपनी स्कूली पढ़ाई दयानंद एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल में की और फिर लाहौर के नेशनल कॉलेज में आगे की पढ़ाई की.
  • जब उनके माता-पिता ने उनकी शादी करने की कोशिश की तो वह अपने घर से भाग गए. उन्‍होंने अपने माता-पिता से कहा कि अगर उन्होंने गुलाम भारत में शादी की, तो उनकी दुल्हन केवल मौत होगी. इसके बाद वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए.
  • उन्होंने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची. हालांकि, वे स्‍कॉट को ठीक तरह से पहचान नहीं पाए और उन्‍होंने असिस्‍टेंट पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी.
  • मार्च 1926 में, उन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से एक समाजवादी संगठन नौजवान भारत सभा की स्थापना की. 1927 में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर 1926 में हुए लाहौर बमबारी मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया. उन्हें 5 सप्ताह के बाद रिहा कर दिया गया.
  • बचपन में, भगत सिंह महात्मा गांधी द्वारा दिए गए अहिंसा के आदर्शों के अनुयायी थे. आगे चलकर उन्‍होंने अंग्रेजों से सीधी टक्‍कर लेने का मार्ग चुना जिसके चलते उनके गांधी जी से वैचारिक मतभेद भी रहे.
  • हालांकि, वह जन्म से एक सिख थे, मगर अपनी पहचान छुपाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और अपने बाल काट लिए. वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे.
  • भगत सिंह और उनके साथियों को 07 अक्टूबर 1930 को मौत की सजा सुनाई गई. फांसी के लिए 24 मार्च 1931 का दिन तय किया गया था मगर 23 मार्च की शाम 7:30 बजे ही उन्‍हें अंग्रेज अफसर फांसी के लिए ले गए थे. अगले दिन तीनों क्रांतिकारियों के शव मिले जिससे यह पूरी तरह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया कि उन्‍हें फांसी किस दिन दी गई.
  • जेल में रहने के दौरान, वह विदेशी मूल के कैदियों से बेहतर व्‍यवहार की मांग के साथ भूख हड़ताल पर चले गए थे.

भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी केवल 23 वर्ष के थे जब उन्हें फांसी दी गई थी. उनकी मृत्यु ने सैकड़ों लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन का कारण बनने के लिए प्रेरित किया.

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट