बड़वानी। आजादी के 75 वर्ष बाद भी सड़क के लिए तरस रहे हैं ग्रामीण। मुख्यमार्ग से गांव तक जोडऩे वालीं सड़कें दलदल में तबदील हो चुकीं हैं। ऐसा ही मामला बड़वानी से करीब 32 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत देवगढ़ का है। जहाँ पर बारिश के कारण पहाड़ों से पत्थर नीचे गिर गए हैं । जिससे 6 से 7 किलोमीटर का आवागमन पूरी तरीके से बंद हो चुका है। वही 2 पहिया वाहन चालक जान जोखिम में डालकर वाहन निकाल रहे हैं।
ग्राम देवगढ़ के रहवासी भी मार्ग दलदल में तब्दील होने से विभिन्न परेशानियों का सामना करने पर मजबूर है। सड़क जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वही एमरजेंसी वहान 108 भी गाँव से 15 किलोमीटर पहले तक ही आती है। ग्राम बोकराटा से देवगढ़ के बीच एक 3 से 4 किलोमीटर का घाट है। घाट पर पत्थर आने से दो पहिया वाहनों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्राम देवगढ़ निवासी हागरिया ने बताया कि सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। राशन लेने के लिए गाँव से करीब 6 से 7 किलोमीटर दूर ग्राम चिचवानिया पैदल चलकर जाना पड़ता है। वही सड़क नही होने से हमे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ठेकेदार अदा अधूरा कार्य कर के चले जाते है। देवगढ़ आने-जाने में हमे बहुत दिक्कत हो गई है। रात में गाड़ी नीचे रखकर जाना पड़ता है।
जब अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की गुहार नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद से ही श्रमदान कर सड़क को दुरस्त करने लगे। पाटी ब्लॉक के दो प्रखंड के देवगढ़ पंचायत के चिचवानिया, सागड़िया गांव के ग्रामीणों ने श्रमादान से क्षतिग्रस्त सड़क का दुरुस्तीकरण कर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाने लगे है। यह बारिश में जर्जर हुई सड़क बोकराटा-पाटी के मुख्य सड़क को बड़वानी को जोड़ती है। ग्रामीणों के प्रयास से अब सड़क चलने लायक हो गई है।
ग्रामीण आगरिया ने बताया कि लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक व सांसद से गुहार लगाने के बाद भी जब सड़क को दुस्तत नहीं कराया गया तो इसके बाद रविवार को देवगढ़ व सागड़िया गांव के ग्रामीणों ने मिलकर इस जर्जर कच्ची सड़क पर श्रमदान कर मिट्टी भराई कर रहे हैं ताकि आवागमन बहाल हो सके। 15 दिन तक श्रमदान करना पड़ेगा। इसके बाद ही चार व दो पहिया वाहन निकल सकेगा। साथ ही क्षतिग्रस्त सड़क की लंबाई 4 किमी होने से 15 दिन तक श्रमदान करना पड़ेगा। सड़क दूरस्थ में जुटे मयाराम चन्द्रसिंग कनासे,राकेश जमालसिंग कनासे,तेरसिंग डावर,पंजा पटेल, झाँकीराम ,ग्यारसिया ,कालासिंग,चतरसिंह आदि ने बताया कि सरकार से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से उक्त सड़क को दुरस्त कराने के लिए कई बार गुहार लगाई गई। लेकिन हमारी आवाज अनसुनी ही रह गई। आखिरकार श्रमदान से सड़क दुरस्त करना ही पड़ रहा है। देवगढ़ गांव से बोकराटा जाने के लिए यह एकमात्र सड़क है। जिसके जर्जर हो जाने से आवागमन बाधित हो गया। ऐसे में इसे खुद से ही बनाकर आवागमन बहाल करना पड़ रहा है।
इस बारे में सागड़िया के मुखिया जआगरिया भाई ने कहा कि क्षतिग्रस्त सड़क को दुरस्त करने के लिए कई बार अधिकारियों से भी अपील की गई है। लेकिन अब तक निर्माण कार्य की दिशा में कार्रवाई आरंभ नहीं हो सकी है।
वही देवगढ़ के सरपंच वीमल ने बताया कि 5 वर्षो में 5 ठेकेदार बदल गए है। बावजूद रोड की स्थिति वैसी ही है तो 75 साल पहले थी। गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने में झोली का सहारा लेना पड़ रहा, वही अनाज को ट्रैक्टर से गांव तक नहीं ले जा सकते। इसलिए आज गांव के लोग मिलकर क्षतिग्रस्त रोड को दुरस्त करने के लिए सुबह से श्रमदान कर रहे हैं।