Sawan Somwar Special: सावन मास का 16 अगस्त को आखिरी सोमवार है। इस दिन महादेव की आराधना करने से वर्षभर की शिव उपासना का फल प्राप्त हो जाता है। इसलिए शिवभक्त इस दिन बड़ी संख्या में शिव देवालयों में जाकर भोलेनाथ की आराधना करते हैं। घर पर भी आप शिवलिंग पूजा कर शिवपूजा का पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना जरूरी है।
शिवलिंग आराधना का है विशेष महत्व
महादेव आराधना में शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व है। धर्मशास्त्रों में शिवलिंग को भोलेनाथ का निराकार स्वरूप माना गया है। सनातन संस्कृति में महादेव के साकार और निराकार दोनों स्वरूपों की पूजा की जाती है। शिवलिंग को अनन्त ऊर्जा का भंडार माना गया है। शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा को अधिक कल्याणकारी और मोक्षदायी बताया गया है, लेकिन यदि आप अपने घर के पूजास्थल पर शिवलिंग रखते हैं तो कुछ शास्त्रोक्त नियमों का पालन करना आवश्यक है।
शिवलिंग होते हैं ऊर्जा के अक्षय भंडार
घर के पूजास्थल पर 4 या 5 इंच से ज्यादा बड़ा शिवलिंग न रखें। इसके लिए घर के किसी हिस्से में एक मंदिर बनवाए। उसमें शिवलिंग की स्थापना करें और शिवलिंग से जुड़े सभी नियमों का पालन करें। कहा जाता है कि शिवलिंग ऊर्जा का भंडार होते हैं और सके आसपास के क्षेत्रों में रेडियो एक्टिव तत्वों के अंश भी पाए जाते हैं। शिवप्रिय समस्त पदार्थ जैसे बिल्व पत्र, आक, धतूरा आदि इस ऊर्जा का अवशोषण करते हैं। इस असीम ऊर्जा को शांत रखने के लिए शिवलिंग पर शीतल जल चढ़ाया जाता है।
स्फटिक और पारद शिवलिंग की स्थापना करें
घर के मंदिर में पार्थिव शिवलिंग, धातु या स्फटिक और पारद शिवलिंग को रख सकते हैं। इस तरह के शिवलिंग कल्याणकारी, मनोकामना पूर्ति करने वाले और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाले होते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करने के लिए ब्रहम मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ है। इसके अलावा दोपहर से पूजा भी फलदायी होती है। शिवलिंग के साथ शिव परिवार माता गौरी, गणपति और कार्तिकेय जी को भी पूजास्थल पर रखना चाहिए।