Sawan 2021: शिव आदि- अनादि है। शिव अजन्मे हैं, शिव ब्रहमांड के स्वामी हैं। शिव त्रैलोक्य के जनक हैं।शिव जगत के कल्याण करने वाले और बुराइयों के साथ दुष्टों के संहारक माने जाते हैं। शिव आराधना में शिवलिंग का बड़ा महत्व है। इनमें छह प्रकार के शिवलिंग की पूजा का विशेष विधान शास्त्रों में बतलाया गया है।
देवलिंग
देवताओं या अन्य प्राणियों द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को देवलिंग कहा जाता है। इस शिवलिंग को मुख्यत: देवताओं के द्वारा पूजा जाता था।
आसुरलिंग
असुरों द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को आसुरलिंग कहा जाता है। रावण ने भी एक आसुरलिंग की स्थापना की थी। देवताओं से बैरभाव रखने वाले असुर महादेव के परम भक्त थे।
अर्शलिंग
संत, मुनि और पौराणिक काल में महर्षियों के द्वारा स्थापित किए गए शिवलिंग को अर्शलिंग कहा जाता है।
पुराणलिंग
पौराणिक काल के व्यक्तियों द्वारा स्थापित शिवलिंग को पुराण शिवलिंग कहा जाता है।
मनुष्यलिंग
प्राचीनकाल या मध्यकाल में महापुरुषों, धनाढ्य पुरुषों, राजा-महाराजाओं के द्वारा स्थापित शिवलिंग को मनुष्यलिंग कहा जाता है।
स्वयंभूलिंग
कुछ विशेष स्थानों पर शिवलिंग पृथ्वी पर स्वयंभू रूप में प्रगट हुए हैं। ऐसे शिवलिंग को स्वयंभूलिंग कहा जाता है। धरती पर स्वयंभूलिंग कुछ जगहों पर विद्यमान है और इनकी आराधना से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।