Sawan 2021: सावन मास शिवभक्ति का मास है। मान्यता है कि इस महीने में शिव आराधना करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और शिवभक्तों को मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। सावन मास में भी सावन सोमवार का विशेष महत्व है इसलिए इस दिन शिव पूजा करने से अनन्त गुना फल की प्राप्ति होती है।
ब्रह्ममुहूर्त में करे शिव आराधना
सावन मास में शिव उपासना करते समय अपनी दिनचर्या को संयमित रखने का शास्त्रोक्त विधान है। इस तरह से सावन मास में दिनचर्या बिताने से महादेव प्रसन्न होते हैं। इस समय आहार-विहार के साथ आचार-विचार का भी खास ख्याल रखना पड़ा है। इस तरह से शिव भक्त व्रत और उपासना का संपूर्ण लाभ उठा सकते हैं। सावन मास के प्रत्येक दिन की शुरूआत ब्रह्ममुहूर्त से करें। सुबह 4 बजे उठें और नित्यकर्म से निवृत्त होकर महादेव आराधना का तैयारियां प्रारंभ करें।
श्वेत पुष्पों से करे शिव श्रंगार
स्नान कर महादेव देवालय जाएं और सर्वप्रथम श्रीगणेश का सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, फूल, ऋतुफल आदि से पूजन करें। उसके बाद माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और वीरभद्र का पूजन करें। सके बाद शिवलिंग को पंचामृत यानी दूध, दहीं, घीं, शहद और चीनी से स्नान करवाएं और बाद में गंगाजल से स्नान करवाएं। शिवलिंग पर चंदन से त्रिपुंड बनाकर अबीर, अक्षत, मेंहदी, वस्त्र समर्पित करें। आंकड़ा, धतूरा और सुगंधित फूल चढाएं। मदादेव को श्वेत पुष्प पसंद है। शिवलिंग पर हारश्रंगार, कमल, गुलाब के फूल चढ़ाएं। अखंडित चावल समर्पित करें।
पंचाक्षरी मंत्र से करें आराधना
भोलेनाथ को ऋतुफल, पंचामृत, मिष्ठान्न, सूखे मेवे, भांग आदि का भोग लगाएं। शिव मंदिर में शिव पंचाक्षरी मंत्र, रुद्राष्टक, तांडवस्तोत्र, शिव चालीसा में से किसी एक का या अपनी सामर्थ्य के अनुसार जितने पाठ हो सके करें और इसके बाद शिवजी की आरती करें।