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भारतीय बैंकों में इकट्ठा हुआ रूस का पैसा , जानें क्यों नहीं हो रहा इस्तेमाल?

भारतीय बैंकों में इकट्ठा हुआ रूस का पैसा , जानें क्यों नहीं हो रहा इस्तेमाल?

विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि रूस ने भारतीय बैंकों में अरबों रुपये जमा किए हैं, जिसका वह उपयोग नहीं कर सकता है। गोवा में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर लावरोव ने संवाददाताओं से कहा, “यह एक समस्या है।” “हमें इस पैसे का उपयोग करने की ज़रूरत है। लेकिन इसके लिए इन रुपयों को दूसरी मुद्रा में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, और इस पर अभी चर्चा की जा रही है।

पांच गुना बढ़कर 41.56 बिलियन डॉलर हो गया।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 वित्तीय वर्ष के पहले 11 महीनों में रूस को भारत का कुल निर्यात 11.6% घटकर 2.8 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि आयात लगभग पांच गुना बढ़कर 41.56 बिलियन डॉलर हो गया। यह उछाल तब आया जब भारतीय रिफाइनरों ने पिछले एक साल में रूसी तेल को छूट दी है, जिसे यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आक्रमण के जवाब में पश्चिम द्वारा छोड़ दिया गया है।

डेटा इंटेलिजेंस फर्म वोर्टेक्सा लिमिटेड के अनुसार, भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल का आयात अप्रैल में एक दिन में रिकॉर्ड 1.68 मिलियन बैरल तक पहुंच गया, जो एक साल पहले की तुलना में छह गुना अधिक है।

राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

क्रेमलिन ने शुरू में भारतीय बैंकों को रूसी बैंकों पर प्रतिबंधों और स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम का उपयोग करते हुए लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने के बाद राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन युद्ध शुरू होने के तुरंत बाद रूबल में अस्थिरता का मतलब तेल आयात के लिए रुपये-रूबल तंत्र की योजना को छोड़ दिया गया। भारत ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से मास्को के साथ संबंधों को कम करने के लिए अमेरिका के दबाव का विरोध किया है।

भारतीयो के उधारदाताओं ने रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा और कच्चे तेल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए Sberbank PJSC और VTB बैंक PJSC सहित रूसी बैंकों में विशेष वोस्ट्रो खाते खोले। बैंक ऑफ रूस के गवर्नर एलविरा नबीउलीना ने 28 अप्रैल को कहा।मुद्रा प्रतिबंध का मतलब है कि रूसी निर्यातकों को रुपये वापस करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

रूसी बैंकों और ट्रांजेक्शनों पर रोक लगा दी गयी थी.

आमतौर पर दो देशों के बीच व्यापार में अंतरराष्ट्रीय करेंसी यानी कि अमेरिकी डॉलर्स का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन युक्रेन पर रूस द्वारा किये गए हमले की वजह से रूसी बैंकों और ट्रांजेक्शनों पर रोक लगा दी गयी थी. इसीलिए पहले रूस द्वारा ही भारत और भारतीय बैंकों को यह सुझाव दिया गया कि दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय करेंसियों में ही ट्रांजेक्शन किये जाएं.

लेकिन युद्ध की वजह से रूसी करेंसी रूबल में बदलाव होने लगे जिसकी वजह से तेल के इम्पोर्ट्स के लिए रुपये और रूबल के ट्रांजेक्शन का रास्ता बंद होने लगा. इसीलिए रूस ने भारतीय करेंसी रुपये में ही भारतीय बैंकों में ही पैसे इकट्ठा करने शुरू कर दिए और अब रूस को इन्हीं पैसों को इस्तेमाल करने में दिक्कत आ रही है.

व्यापार में क्यों इस्तेमाल हुई नेशनल करेंसी?

आमतौर पर दो देशों के बीच व्यापार में अंतरराष्ट्रीय करेंसी यानी कि अमेरिकी डॉलर्स का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन युक्रेन पर रूस द्वारा किये गए हमले की वजह से रूसी बैंकों और ट्रांजेक्शनों पर रोक लगा दी गयी थी. इसीलिए पहले रूस द्वारा ही भारत को यह सुझाव दिया गया कि दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय करेंसियों में ही ट्रांजेक्शन किये जाएं.

लेकिन युद्ध की वजह से रूसी करेंसी रूबल में बदलाव होने लगे जिसकी वजह से तेल के इम्पोर्ट्स के लिए रुपये और रूबल के ट्रांजेक्शन का रास्ता बंद होने लगा. इसीलिए रूस ने भारतीय करेंसी रुपये में ही भारतीय बैंकों में ही पैसे इकट्ठा करने शुरू कर दिए और अब रूस को इन्हीं पैसों को इस्तेमाल करने में दिक्कत आ रही है. रूस और युक्रेन के बीच श्हुरु होने के बाद से ही भारत रूस के साथ रिश्ते खत्म करने के अमेरिकी दबाव तले दबा हुआ है. 

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