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सरेंडर न करने की रूस ने दी सजा, मारियुपोल शहर मलबे में बदला

कीव। रूस ने यूक्रेन के दक्षिण तटीय शहर मारियुपोल पर हमले तेज कर दिए हैं। मंगलवार को हुए दो शक्तिशाली बमों के हमले से मारियुपोल दहल उठा। ये हमले इंडस्ट्रियल एरिया पर हुए। हालांकि, हमले में कितने लोग मारे गए हैं, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। मारियुपोल पर फाइनल कब्जे के लिए रूस ने सोमवार को डेडलाइन दी थी, जो खत्म हो गई। वहीं, यूक्रेन ने सरेंडर से इनकार कर दिया था। इसके बाद यहां स्ट्रीट फाइटिंग भी तेज हो गई है। वहीं, मंगलवार को इटली की संसद को दिए संबोधन में जेलेंस्की ने कहा कि रूसी बमबारी के बाद इस शहर में अब कुछ भी नहीं बचा है।

यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया कि रूसी सेना को मारियुपोल शहर में कोई दिलचस्पी नहीं है, वे इसे जमींदोज करना चाहते हैं और राख में तब्दील करना चाहते हैं। मारियुपोल में फंसे लोग कई दिनों से बिजली और पानी के बिना जीने को मजबूर हैं। रूसी सैनिकों ने 1 मार्च को 4.5 लाख की आबादी वाले मारियुपोल की घेराबंदी की थी। हमले के बाद अब तक करीब 2.5 लाख शहर छोड़ चुके हैं।

मारियुपोल पर अगर रूस का कब्जा होता है तो उसे क्रीमिया पेनिनसुला तक पहुंचने के लिए जमीनी रास्ता मिल जाएगा। क्रीमिया को रूस ने 2014 में यूक्रेन से छीना था। इससे क्रीमिया और दक्षिण-पश्चिम में रूसी सेनाओं के बीच एक लैंड ब्रिज बन जाएगा। वहीं, उत्तर और पूर्व में रूसी कब्जे वाले इलाके भी एक दूसरे से जुड़ जाएंगे। यूक्रेन की उपप्रधानमंत्री इरिना वेरेस्चुक ने कहा कि हम यहां तब तक रेस्क्यू के प्रयास जारी रखेंगे, जब तक सभी लोगों को बाहर न निकाल लिया जाए। यूक्रेन इसको लेकर ह्यूमैनिटेरियन कॉरिडोर खोलने की मांग कर चुका है। इरिना ने कहा कि मारियुपोल को जपोरिज्जिया से जोड़ने के लिए तीन रूट तैयार किए गए हैं। 22 मार्च को 1,200 से अधिक लोगों को निकाला गया। मारियुपोल पोर्ट से 15 बसों ने लोगों को जपोरिज्जिया पहुंचाया।

2 लाख से भी अधिक लोग यहां फंसे हुए

ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, रणनीतिक तौर पर रूस के लिए अहम इस शहर में 2 लाख से भी अधिक लोग फंसे हुए हैं। यूक्रेनी अधिकारियों ने यहां से नागरिकों को बचाने के लिए रेस्क्यू के प्रयास भी किए हैं। वहीं, यूरोपीयन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेप बोरेल ने कहा कि मारियुपोल की घेराबंदी एक वॉर क्राइम है, जिसमें 2,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।

एक करोड़ यूक्रेनी लोग पलायन को मजबूर

गुतारेस ने युद्ध पर चिंता जताते हुए कहा कि एक करोड़ यूक्रेनी लोग अपने घरों से पलायन को मजबूर हो गए हैं, देश छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया यूक्रेन के शहरों, कस्बों और गांवों में भयानक मानवीय पीड़ा और विनाश देख रही है। एक महीने पहले, रूसी संघ ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन के संप्रभु क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था। यह यूक्रेनी सीमा पर भारी मात्रा में सैन्य बल की तैनाती के महीनों के बाद किया गया। गुतारेस ने कहा कि यूक्रेन के लोग बेहद संकट में हैं और दुनिया भर में भोजन, ऊर्जा और उर्वरक की आसमान छूती कीमतों के साथ भोजन के वैश्विक संकट की आहट महसूस की जा रही है।

पश्चिमी देशों को एटमी हमले का डर

यूक्रेन पर रूस के हमले 27 दिन बीत चुके हैं। इतने दिन बाद भी रूसी सेना को जमीनी रास्ते से आगे बढ़ने में संघर्ष करना पड़ रहा है। उसे दक्षिण यूक्रेन में लगातार यूक्रेन की सेना से जवाब मिल रहा है। युद्ध लंबा खिंचने और वैश्विक मंचों पर दरकिनार किए जाने से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की बौखलाहट बढ़ रही है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स आशंका जता रहे हैं कि पुतिन अब छोटे परमाणु हमले कर सकते हैं। वे परमाणु हमले की चेतावनी दे चुके हैं और अपनी परमाणु टुकड़ी को अलर्ट पर रखा है। रूसी सेना ने न्यूक्लियर पॉवर प्लांट पर हमले किए हैं।

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