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यूक्रेन की बॉर्डर पर एक लाख रूसी सैनिक तैनात, जवाब देने के लिए यूक्रेन भी तैयार

नई दिल्ली। रूस के बाद यूरोप के दूसरे सबसे बड़े देश यूक्रेन पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश रूस और यूक्रेन के बीच टकराव को टालने की कोशिशें कर रहे हैं। दिन-रात राजनयिक बैठकें हो रही हैं, लेकिन यूक्रेन सीमा के पास खड़ी एक लाख से अधिक की रूसी फौज ने सिर्फ यूरोप और अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया की सांसें अटका रखी हैं। यूक्रेन के पश्चिम में यूरोप है और पूर्व में रूस। 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद से ही इस देश का झुकाव पश्चिम की तरफ रहा है। पूरब के पड़ोसी रूस को ये बर्दाश्त नहीं है और वो इसे अपने प्रभाव के दायरे में लेने की कोशिश करता रहा है। रूस को लगता है कि पश्चिम यूरोप की तरफ झुका यूक्रेन उसके सुरक्षा और सामरिक हितों के लिए खतरा है। यूं तो तनाव हमेशा से रहा है, लेकिन हाल के महीनों में ये युद्ध के मुहाने तक पहुंच गया है और दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध होने का खतरा मंडराने लगा है।

लोगों से शांत रहने की अपील

यूक्रेन एक बहुत बड़ा देश है, लेकिन रूस के मुकाबले बहुत छोटा है। रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि यूक्रेन की सीमा के नजदीक एक लाख से अधिक रूसी सैनिक तैनात हैं और यूक्रेन पर आक्रमण का खतरा है, लेकिन रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की स्थिति को लेकर यूक्रेन के लोगों का नजरिया वास्तविक है। बीत आठ सालों में रूस ने अपनी सैन्य ताकत बहुत अधिक बढ़ाई है, पर यूक्रेन भी रूस के आक्रमण का अपनी क्षमता से जवाब देगा। यूक्रेन की सेना अलर्ट पर है। बीते एक महीने के हालात ने यूक्रेन को युद्ध की स्थिति के लिए अधिक तैयार रहने का मौका दिया है। देश के अहम संस्थानों, क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का कैसे बचाव किया जाए, इसे लेकर भी तैयारी है। अगर रूस यूक्रेन में घुसता है तो क्षेत्रीय संप्रभुता का बचाव कैसे किया जाएगा, इसकी भी तैयारियां हैं। यूक्रेन ये बात भी समझता है कि यदि उस पर कोई बड़ा हमला होता है तो उसे बचाने के लिए विदेशी सैनिक नहीं लड़ेंगे, बल्कि उसके अपने सैनिकों को लड़ना होगा। युद्ध का माहौल है, लेकिन अगर हम आम आबादी की बात करें तो आम लोग बहुत शांत हैं। सरकार ने भी अधिकारिक तौर पर लोगों से कहा है कि वो शांत रहें और अपना काम करते रहें।

  • यूक्रेन के पोपासना के मोर्चे पर तैनात हैं यूक्रेनियन सिपाही।
  • यूक्रेन-रूस में तनाव के बीच राहत की खबर आई।
  • बुधवार को पेरिस में बैठक में सभी पक्षों ने सीजफायर पर सहमति जताई है।
  • यूक्रेन के पोपासना के मोर्चे पर तैनात यूक्रेनियन सिपाही।
  • यूक्रेन-रूस में तनाव के बीच राहत की खबर आई।
  • बुधवार को पेरिस में बैठक में सभी पक्षों ने सीजफायर पर सहमति जताई है।

मौजूदा राष्ट्रपति रूस से भिड़ना नहीं चाहते

यूक्रेन की सरकार का ये दावा है कि नाटो ने यूक्रेन को लेकर रूस को जो जवाब दिया है, उसमें यूक्रेन की भी सलाह ली गई थी। यूक्रेन के लोग ये कहना चाहते हैं कि ये सिर्फ यूक्रेन का मामला नहीं है। रूस जो मांगें कर रहा है, वो सिर्फ यूक्रेन का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा हैं। लोगों को ये भी जानना चाहिए कि पिछले कुछ सालों से यूक्रेन की नीति तनाव कम करने की रही है। मौजूदा सरकार एक मध्यमार्गी उदारवादी सरकार है। मौजूदा राष्ट्रपति रूस से भिड़ने के बजाय बात करने का विचार रखते हैं। यहां ये बताना जरूरी है कि यूक्रेन में ऐसी सरकार नहीं है, जो जंग लड़ने पर उतारू है और किसी को उसे शांत करने की जरूरत है। जहां तक लोगों के आम जीवन का सवाल है, वह बिल्कुल सामान्य है। किसी भी तरह की आपाधापी या घबराहट नहीं है। लोग छुट्टियों से वापस लौटे हैं और जिंदगी अपनी रफ्तार से चल रही है।

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