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सब्जियों की बढ़ती कीमत अभी भी बनी हुई है चिंता का कारण, शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर बढ़ी

नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत की खबर है। मई, 2022 में खुदरा महंगाई दर में कमी आई है। मई में खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी रही है जबकि अप्रैल में यह 7.79 फीसदी थी। वहीं खाद्य महंगाई दर मई में 7.97 फीसदी रही है जबकि अप्रैल में 8.38 यह फीसदी थी। हालांकि अप्रैल महीने के मुकाबले शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी आई है। अप्रैल में शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 8.09 फीसदी थी जो मई में बढ़कर 8.20 फीसदी पर जा पहुंची है। हालांकि सब्जियों की बढ़ती कीमत अभी भी चिंता का कारण बनी हुई है। मई में सब्जियों की महंगाई दर 18.26 फीसदी रही है।

एक्साइज ड्यूटी घटाने का असर

केंद्र सरकार ने 21 मई को पेट्रोल डीजल पर 8 और 6 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया था. जिसके बाद 6 राज्यों ने भी वैट में कमी की थी, जिसके चलते माना जा रहा है कि माल ढुलाई पर लागत घटने से खुदरा महंगाई में कमी आई है। हालांकि रूस – यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में उछाल लगातार बना हुआ है। कच्चा तेल अभी भी 120 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है। सरकारी तेल कंपनियां अभी पेट्रोल डीजल भारी नुकसान में बेच रही हैं।

फिर भी आरबीआई के अनुमान से ज्यादा

हालांकि खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा अभी भी आरबीआई के टोलरेंस बैंड के अपर लिमिट 6 फीसदी से ज्यादा है। आरबीआई ने हाल ही में 2022-23 में महंगाई दर के अपने अनुमान को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।

क्या ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर लगेगा ब्रेक?

खुदरा महंगाई दर मई महीने में 7.04 फीसदी रही है जो कि आरबीआई के अनुमान से ज्यादा है लेकिन अप्रैल के मुकाबले कम है। बीते एक महीने में आरबीआई ने बढ़ती महंगाई के चलते रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए 4 फीसदी से 4.90 फीसदी कर दिया। अब सवाल उठता है कि खुदरा महंगाई दर में गिरावट के मद्देनजर आरबीआई अब और कर्ज महंगा नहीं करेगी।

एसबीआई की रिपोर्ट

भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि आरबीआई अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में वृद्धि पर विचार कर सकती है। इसका कारण जून में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर रह सकती है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें वृद्धि की जा सकती है। इससे नीतिगत दर महामारी-पूर्व स्तर 5.5 प्रतिशत से ऊपर निकल सकती है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये मई में नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। इससे रेपो दर 4.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

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