प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है। भारत में कई राष्ट्रीय पर्व है, जिसमें स्वतंत्रता दिवस भी शामिल है। भारत की आजादी से जुड़े ये दोनों की राष्ट्रीय पर्व बहुत महत्वपूर्ण है और ऐतिहासिक महत्व भी रखते है। 1947 से पहले भारत अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। भारत के हर उच्च पद पर अंग्रेज शासक आसीन थे।
भारतीय अपने ही देश में गुलाम बनकर रह रहे थे। हालांकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कई वीर सपूतों ने अपना जीवन बलिदान करके देश को आजादी दिलाई। जिस दिन भारत आजाद हुआ, वह स्वतंत्रता दिवस बन गया। वहीं आजाद भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाया गया। जिस दिन भारत में संविधान लागू हुआ, वह गणतंत्र दिवस कहलाया। लेकिन गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में कई अंतर हैं। यह अंतर महज तारीखों तक सीमित नहीं, बल्कि इतिहास, नेतृत्व और मनाए जाने के तरीकों का भी है।
यह बात सन् 1929 की है. इस साल 31 दिसंबर को पं. जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर लाहौर अधिवेशन में हिस्सा लिया था और सबसे पहले तिरंगा फहराया था. और इसी दौरान उन्होंने सबसे पहले स्वतंत्रता के लिए 26 जनवरी की तारीख का एलान कर दिया था. जिसका प्रभाव आगे कई सालों तक देखा गया.
26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस
जैसा कि हम सभी जानते हैं सन् 1885 में कांग्रेस की स्थापना हुई. जिसके बाद 26 जनवरी सन् 1930 को संपूर्ण स्वराज की मांग उठी. इस मांग के साथ ही हर साल प्रतीकात्मक तौर पर 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई. यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक देश को आजादी नहीं मिली.
हालांकि जब देश आजाद हुआ तो वो तारीख थी– 15 अगस्त 1947, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के बाद 26 जनवरी की तारीख की अहमियत को बरकरार रखने का प्रयास किया. आगे चलकर सन् 1950 में जब हमारा संविधान लागू हुआ तब 26 जनवरी तारीख को इसके लिए खास दिन मुकर्रर किया गया. हमारा संविधान जिस दिन लागू हुआ उस दिन को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया. देश तभी से हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता आ रहा है.
देश का संविधान बनाने में 389 सदस्योें ने अपनी अपनी अहम भूमिका निभाई. सभी सदस्यों ने अपनी विशेषज्ञता को शामिल करते हुए संविधान का निर्माण किया. जिसका आखिरी मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया. संविधान का प्रारूप जब तैयार हो गया तब 24 जनवरी को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर अपने–अपने दस्तखत किये और फिर उसे भी 26 जनवरी को लागू कर दिया गया.
दरअसल जब 1929 में पं. जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की सभा का आयोजन किया गया था, उसमें एक स्वर से मांग की गई थी कि ब्रिटिश सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनिक स्टेट का दर्जा दे दे. उस दिन की सभा में इस बात की शपथ ली गई कि आगामी हर साल 26 जनवरी को देश भर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा. इस एलान से स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानियों के मन-मस्तिष्क पर बड़ा गहन प्रभाव पड़ा. भारत के जन–जन की चेतना इससे आंदोलित हुई.