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Raksha Bandhan 2021: शचि ने इंद्र और द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को बांधे थे रक्षासूत्र, जानिए रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं

Raksha Bandhan 2021: सनातन संस्कृति के बड़े पर्वों में से एक पर्व रक्षाबंधन है। भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को समर्पित यह त्य़ौहार पौराणिक काल से भारतवर्ष में मनाया जाता रहा है। इस पर्व को देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है। रक्षाबंधन को लेकर पौराणिक ग्रंथों में तीन कथाओं का वर्णन किया गया है। इस साल रक्षाबंधन रविवार 22 अगस्त को मनाया जाएगा।

इंद्र और शचि की कथा

शास्त्रोक्त कथानक के अनुसार सबसे पहले राखी या रक्षासूत्र देवी शचि ने अपने पति इंद्र को बांधा था। पौरणिक मान्यता के अनुसार जब देवराज इंद्र वृत्तासुर से युद्ध करने के लिए प्रस्थान कर रहे थे। तो उनकी रक्षा की कामना करते हुए देवी शचि ने उनके हाथ में कलावा या मौली बांधी थी। तब से ही रक्षा बंधन की परंपरा का प्रारंभ माना जाता है।

देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा

एक अन्य शास्त्रोक्त कथानक के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राक्षसराज बलि से तीन पग में उनका समस्त राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने का आदेश दिया था। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने का निवे्दन किया था। भगवान विष्णु उनके आग्रह को मना नहीं कर सके। लेकिन जब लंबे समय तक विष्णु भगवान क्षीरसागर नहीं लौटे तो लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी। तब नारद मुनी ने देवी लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी और उनसे उपहार में विष्णु जी को मांगने को कहा था। मां लक्ष्मी ने नारदजी के कहे अनुसार ऐसा ही किया और इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने के लिए उन्होंने राजा बलि के हाथ पर राखी या रक्षा सूत्र बांधा।

श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत के एक कथानक के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो उनका हाथ भी उसमें घायल हो गया था। उस समय द्रौपदी ने अपने साड़ी का एक सिरा निकालकर कृष्ण जी की चोट पर बांधा दिया था। उस वक्त श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को इसके बदले उनकी रक्षा का वचन दिया था। हस्तिनापुर की राजसभा में जब दुशासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तब श्रीकृष्ण ने उनका चीर बढ़ा कर द्रौपदी के मान की रक्षा की थी।

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