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राधे श्याम की कहानी मृदुभाषी की जुबानी, प्रभास की सेंसेशनल लव स्टोरी है राधे श्याम

दोस्तों फिल्म राधे श्याम सबके लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। कई बार फिल्मों पर करोड़ों रुपय खर्च कर दिए जाते हैं। बजट के नाम पर नए रिकॉर्ड बनाए जाते हैं। प्रमोशन भी खर्चीला होता है। जाहिर सी बात है, पैसा ज्यादा लगाया तो मतलब टेक्नोलॉजी और ज्यादा एडवांस होगी। VFX सुपर से भी ऊपर हो जाएंगे। प्रभास की जो नई फिल्म है राधे श्याम, भी कुछ ऐसी ही है ।

रिलीज तो पिछले साल होनी थी, लेकिन कोरोना ने लेट कर दिया। अब 350 करोड़ के बजट में बनी डायरेक्टर राधा कृष्ण कुमार की राधे श्याम रिलीज हो गई है। देखना तो बस ये है कि 350 करोड़ रुपये मेकर्स ने आखिर खर्च कहा पर किए हैं? और क्या ऐसा कुछ कमाल किया है कि इस फिल्म ने कि इसको सालों तक याद रखा जाए? आइए जानते हैं।

राधे श्याम उन दो प्यार करने वालों की कहानी है जिसे हाथ की लकीरें शायद कभी मिलने ना दें। जिसे किस्मत हमेशा एक दूसरे से अलग करने की साजिशे करें। एक विक्रम आदित्य (प्रभास) और उसका प्यार है प्रेरणा (पूजा हेगड़े)। विक्रम हाथों की लकीर देख भविष्य बता देता है।

फिल्म ने कई बार हमे बताया कि इनसे सटीक भविष्य आजतक किसी ने नहीं बताया है। ये जनाब तो पहले से ही जान लेते हैं कि आगे क्या होने वाला है। इसी भविष्य जानने वाली शक्ति ने विक्रम को बता दिया है कि उसकी जिंदगी में प्यार नहीं है। फ्लर्ट कर सकता है, लेकिन किसी से प्यार नहीं कर पाएगा। दूसरी तरफ खड़ी है प्रेरणा, पेशे से डॉक्टर है और इन हाथ की लकीरों में कोई विश्वास नहीं जताती है।

यही है पूरी फिल्म का प्लॉट….एक हाथ की लकीरों को जिंदगी की सच्चाई मानकर चलता है…तो दूसरा सिर्फ अपने कर्मों पर विश्वास जताता है. बीच में और भी कई घटनाएं होती हैं, दोनों प्यार में पड़ते हैं, लेकिन फंडा वही है- एक लकीरों के चक्कर में उस प्यार को समझ नहीं पाता तो दूसरा उस प्यार को हासिल करने के लिए कोई भी हद पार करने को तैयार है। अब हाथ की लकीरें सच निकलती हैं या प्रेरणा का कर्मों पर विश्वास? दो प्यार करने वाले क्या साथ आ पाते हैं या नहीं? विक्रम की भविष्यवाणी सच होती है या गलत। इन सब सवालों के जवाब मिलेंगे जब आप देखेंगे राधे श्याम।

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