नई दिल्ली। नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान अपनी अगली रणनीति के बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं। आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर जाम लगा रखा है और वह नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। 26 नवंबर को शुरू हुआ किसानों का आंदोलन आज 11वें दिन में पहुंच गया है. अपनी मांगों को लेकर किसानों ने आठ दिसंबर को देशव्यापी बंद का ऐलान किया गया है, इसके दूसरे दिन नौ दिसंबर को छठे राउंड की मीटिंग होगी।
दिल्ली की होगी पूर्ण घेराबंदी
इसके साथ ही आंदोलनकारी किसान अगला प्लान तैयार कर रहे हैं। यदि सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वह इसके बाद दिल्ली के सभी बॉर्डरों की घेराबंदी का मंसूबा बना चुके हैं। प्रदर्शनकारी किसान पहले ही सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉडर और गाजीपुर बॉर्डर की नाकेबंदी कर चुके हैं। लंबे समय तक लड़ाई का मन बनाकर कूच करने वाले इन किसानों ने खाने-पीने का बेहतर इंतजाम कर रखा है और इनको हरसंभव मदद भी मिल रही है, जिससे आंदोलनकारी किसानों के हौंसले काफी बुलंद है। अपनी अगली रणनीति के तहत किसान दिल्ली को देश से अलग-थलग कर देंगे।
दिल्लीवासियों की बढ़ सकती है मुश्किलें
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वार्ता फेल होने पर लोनी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को भी बंद कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में राजधानी दिल्ली में जरूरी साजो-सामान की सप्लाई ठप पड़ जाएगी। दिल्ली की 1.5 करोड़ आबादी के लिए दूध, सब्जी, फल जैसे सामानों की सप्लाई उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से होती है। ऐसी स्थिति में किसानों का आंदोलन आम आदमी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है।