इंदौर- इंदौर में 3 दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन का समापन हो गया है। आयोजन के तीसरे और अंतिम दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 27 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम की भावना से काम में लगा है। उन्होंने कहा कि आज कई चुनौतियां है, भारत विश्व के साथ मिलकर इनसे निपटने में लगा है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने दूसरे दिन भी हाथ जोड़कर प्रवासी भारतीयों से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि असुविधा हुई तो हमें क्षमा कीजिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने कहा- प्रवासी भारतीयों की हमारे दिल में खास जगह
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लंबे अरसे के बाद प्रत्यक्ष रूप से प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन हुआ। यहां भाग लेकर मैं बेहद खुश हूं। दुनियाभर से आई हस्तियों का आभार, जो उन्होंने प्रवासी भारतीयों के लिए आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। मुझे उम्मीद है कि जिन्हें भी सम्मान मिला है, यह उन्हें भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा। यह एक यूनिक प्लेटफॉर्म है, जो भारत और प्रवासी समुदाय को जोड़ता है। महात्मा गांधी नौ जनवरी को भारत लौटे थे और इसी की याद में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में भारत की प्रगति में प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है। सरकार ने कई पहल की है। यह प्रवासी भारतीयों के हितों का ध्यान रखने के लिए है। उन्हें हम नेशन बिल्डिंग में भी जोड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी भारतीयों की हमारे दिलों में खास जगह है। वे न केवल हमारे विस्तारित परिवार के सदस्य हैं, बल्कि उनका भारत की तरक्की में अहम योगदान रहा है।
27 प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
- प्रो. जगदीश चेन्नुपति, आस्ट्रेलिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी/शिक्षा
- प्रो. संजीव मेहता, भूटान, शिक्षा
- प्रो. दिलीप लौंडो, ब्राज़ील, कला और संस्कृति/शिक्षा
- डा. अलेक्जेंडर मलाइकेल जॉन, ब्रुनेई दारुस्सलाम मेडिशन
- डा. वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन, कनाडा, समाजसेवा
- जोगिंदर सिंह निज्जर, क्रोएशिया, कला और संस्कृति/शिक्षा
- प्रो. रामजी प्रसाद, डेनमार्क, सूचना प्रौद्योगिकी
- डा. कन्नन अम्बलम, इथियोपिया, समाजसेवा
- डा. अमल कुमार मुखोपाध्याय, जर्मनी, समाजसेवा/चिकित्सा
- डा. मोहम्मद इरफान अली, गुयाना, राजनीति/समाजसेवा
- रीना विनोद पुष्करणा, इजराइल, व्यवसाय/समाजसेवा
- डा. मकसूदा सरफी श्योतानी, जापान, शिक्षा
- डा. राजगोपाल, मैक्सिको, शिक्षा
- अमित कैलाश चंद्र लठ, पोलैंड, व्यवसाय/समाजसेवा
- परमानंद सुखुमल दासवानी, कांगो गणराज्य, समाजसेवा
- पीयूष गुप्ता, सिंगापुर, व्यवसाय
- मोहनलाल हीरा, दक्षिण अफ्रीका, समाजसेवा
- संजयकुमार शिवभाई पटेल, दक्षिण सूडान, व्यवसाय/समाजसेवा
- शिवकुमार नदेसन, श्रीलंका, समाजसेवा
- डा. देवनचंद्रभोज शरमन, सूरीनाम, समाजसेवा
- डा. अर्चना शर्मा, स्विटजरलैंड, विज्ञान प्रौद्योगिकी
- न्यायमूर्ति फ्रैंक आर्थर सीपरसाद, त्रिनिदाद और टोबैगो, समाजसेवा/शिक्षा
- सिद्धार्थ बालचंद्रन, संयुक्त अरब अमीरात, व्यवसाय/समाजसेवा
- चंद्रकांत बाबूभाई पटेल, यूके, मीडिया
- डा. दर्शन सिंह धालीवाल, अमेरिका, व्यवसाय/समाजसेवा
- राजेश सुब्रमण्यम, अमेरिका, व्यवसाय
- अशोक कुमार तिवारी, उज़्बेकिस्तान, व्यवसाय
शिवराज बोले- मेरा मन भाव-विभोर है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरा मन भाव-विभोर है। तीन दिन तक आपका साथ रहा। इंदौर आपसे एक रूप हो गया। सचमुच में इंदौर ने तैयारी वैसी की, जैसी बेटी की शादी के लिए करते हैं। बेटी की शादी जैसा इंदौर का स्वागत-सत्कार। जब बेटी की बिदाई होती है तो मन में तकलीफ भी होती है। मैं ‘पधारो म्हारे घर’ कार्यक्रम में गया था। वहां ऐसा लगा जैसे दो परिवार नहीं मिले हों बल्कि दो देश जुड़ गए हों। तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के थे। तीन दिन कैसे कट गए, पता ही नहीं चला। अब मन सोचकर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे। यहीं रह जाओ न। जो बात इस जगह है, वह कही भी नहीं।