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उत्तर प्रदेश के जनसंख्‍या कानून पर सियासत गर्म, दूसरे प्रदेशों में भी उठी मांग

भोपाल- नई दिल्ली। उत्‍तर प्रदेश में जनसंख्‍या नियंत्रण पॉलिसी के जारी होने के बाद अब अन्‍य राज्‍यों में भी इसको लेकर सुगबुगाहट होने लगी है। कई अन्‍य राज्‍यों में जनसंख्‍या कानून बनाए जाने की मांग के स्‍वर उठने लगे हैं। इसी कड़ी में मध्‍यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने यूपी में जनसंख्‍या नियंत्रण कानून नीति का समर्थन किया है और मध्‍यप्रदेश में भी जनसंख्‍या नियंत्रण कानून की मांग की है।

सत्तापक्ष औऱ विपक्ष में तकरार

विश्वास सारंग ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है कि इसे कानून के दायरे में लाया जाए। इसके लिए सरकार में काम होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस देश की आगे आने वाली पीढ़ी के लिए जरूरी है कि जनसंख्या नियंत्रण में हो। विश्वास सारंग ने कहा कि साधन-संसाधन की अपनी सीमा होती है इसलिए जरूरी है कि जनसंख्या नियंत्रित की जाए। देश की बहुत बड़ी समस्या आबादी है। मध्यप्रदेश में जनंसख्या वृद्धि एवं नियंत्रण कानून को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर वार-पलटवार का दौर चल रहा है। दरअसल कानून बनाने से पहले भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मसले पर धीरे-धीरे एक-एक कदम आगे बढ़ा रहा है। एक तरफ भाजपा शासित राज्यों को इस पर नीति पेश करने को कहा गया है जिससे कि इस मुद्दे पर देशभर में एक माहौल बनाया जा सके।

इसी कड़ी में उत्तरप्रदेश सरकार अपने राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहती है और इसी के मद्देनजर उसने इसका एक मसौदा भी तैयार किया है। इस मसौदे के मुताबिक उत्तरप्रदेश में दो-बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा।

कांग्रेस का यह है आरोप

कांग्रेस का आरोप है कि उनकी सरकार में 2001 में जनंसख्या नियंत्रण कानून लागू किया गया था। इसी के साथ कई जनप्रतिनिधियों पर भी कार्यवाही की गई थी। लेकिन बीजेपी की सरकार ने 2005 में कानून को रद्द कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि बीजेपी कांग्रेस की योजनाओं को लागू कर ढोल पीटती है, इन्हें जनता की फिक्र नही है। सालों से जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चुप्पी साधे नेता अब इस पर बहस कर रहे है।

तेजी से बढ़ रही मप्र की आबादी

-10 वर्षों में मप्र में लगभग सवा करोड़ जनंसख्या वृद्धि हुई है।
-5 सालों में प्रदेश की जनंसख्या 10 करोड़ तक पहुंच सकती है।
-8 करोड़ 45 लाख है वर्तमान में मप्र की जनसंख्या।
-जनसंख्या के मामले में देश में छठवें स्थान पर है मध्यप्रदेश।

-थाईलैंड, फ्रांस, इटली और दक्षिण अफ्रीका से भी ज्यादा मप्र की आबादी।

मानसून सत्र में संसद में पेश होगा बिल

उत्तर प्रदेश सरकार के जनसंख्या नियंत्रण बिल पर चर्चा के बीच संसद के मानसून सत्र में भी पूरे देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण बिल पर बहस होगी। जनसंख्या बिल को लेकर बीजेपी ने एक खास रणनीति भी बनाई है। दरअसल बीजेपी की योजना अपने राज्यसभा सांसदों के जरिये इस बिल को प्राइवेट मेंबर बिल की तरह राज्यसभा में पेश करके चर्चा कराने की है। बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा का पहले से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल पेश हो चुका है। मानसून सत्र में दूसरे हफ्ते के शुक्रवार को इस बिल पर चर्चा हो सकती है। सुब्रमण्यम स्वामी भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि 19 जुलाई से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान कोविड संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।

विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने राज्यसभा में बिल पेश किया है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही शुरू होने वाले मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होगी। इसके लिए छह अगस्त का दिन तय किया गया है और इस पर वोटिंग भी कराई जा सकती है। जानकारों का कहना है कि चाहे कानून मंत्रालय या गृह मंत्रालय कोई बिल लाए या प्राइवेट मेंबर बिल इसमें कोई अंतर नहीं आता। सूत्रों का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाना अब सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। इसलिए, बेशक यह प्राइवेट मेंबर बिल है लेकिन सरकार की योजना इस विधयेक को राज्यसभा से पारित कराने की है और इसके लिए विपक्षी दलों से भी समर्थन जुटाने की कवायद चल रही है।

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