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पीएम ने रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया, बोले- यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है



हैदराबाद।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम को वैष्णव संप्रदाय के संत स्वामी रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची मूर्ति का इनॉगरेशन किया। हैदराबाद में स्थापित की गई इस प्रतिमा को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ नाम दिया गया है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बैठी हुई मूर्ति है। इस मूर्ति के साथ 108 मंदिर बनाए गए हैं, जिन पर कारीगरी ऐसी है कि कुछ मिनट को पलकें ठहर सी जाती हैं। साथ ही 120 किलो सोने का इस्तेमाल करते हुए आचार्य की एक छोटी मूर्ति भी बनाई गई है। इस प्रोजेक्ट पर 1400 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च हुए हैं, जो अयोध्या में 1100 करोड़ की लागत से बन रहे राम मंदिर से भी ज्यादा हैं। वैष्णव संप्रदाय के संत चिन्ना जीयर स्वामी की देखरेख में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ है।

इससे पहले हैदराबाद के पतनचेरु में पीएम मोदी ने आीसीआरआईएसएटी की 50वीं वर्षगांठ के समारोह की शुरुआत की। साथ ही उन्होंने संस्थान के प्लांट प्रोटेक्शन एंड रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट फैसिलिटी पर जलवायु परिवर्तन रिसर्च फैसलिटी का उद्घाटन भी किया। प्रधानमंत्री ने एक इस मौके पर एक स्मारकीय टाक टिकट भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्थान को अन्य देशों में कृषि को आसान और सतत बनाने के लिए मदद करने में पांच दशक का अनुभव है। आज, मुझे उम्मीद है कि वह भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में अपनी विशेषज्ञता का योगदान देना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत ने साल 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता तो स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी समानता का संदेश दोहरा रही है’

आज देश में एक ओर सरदार साहब की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी समानता का संदेश दे रही है। यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है। भारत का स्वाधीनता संग्राम केवल अपनी सत्ता और अपने अधिकारों की लड़ाई भर नहीं था। इस लड़ाई में एक तरफ ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ थी, तो दूसरी ओर ‘जियो और जीने दो’ का विचार था। इसमें एक ओर ये नस्लीय श्रेष्ठता और भौतिकवाद का उन्माद था, तो दूसरी ओर मानवता और आध्यात्म में आस्था थी और इस लड़ाई में भारत विजयी हुआ, भारत की परंपरा विजयी हुई।

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी दे रहा हमें समानता का संदेश

रामानुजाचार्य जी भारत की एकता और अखंडता की भी एक प्रदीप्त प्रेरणा हैं। उनका जन्म दक्षिण में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत पर है। आज रामानुजाचार्य जी विशाल मूर्ति स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा न केवल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी बल्कि भारत की प्राचीन पहचान को भी मज़बूत करेगी। उन्होंने कहा, “विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय, सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया हो वो पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा है।”

अपनी वास्तविक शक्तियों से परिचित होना जरूरी

आज जब दुनिया में सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा। लेकिन, जब हम रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो हमें अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। ये जरूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाना पड़े, बल्कि जरूरी ये है कि हम अपनी असली जड़ो से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों।

‘रामानुजाचार्य ने कर्मों के प्रति समर्पित किया अपना जीवन’

मोदी ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है। हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है और, इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुए श्रीरामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है।”


रामानुजाचार्य स्‍वामी की प्रतिमा की 10 बड़ी बातें...


1- यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है।
2- जीयार एजुकेशन ट्रस्ट के अधिकारी सूर्यनारायण येलप्रगड़ा के अनुसार ‘स्टैच्यू आॅफ इक्वैलिटी’ बैठने की स्थिति में दुन‍िया की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है।
3- श्री चिन्ना जीयार स्वामी आश्रम के 40 एकड़ के विशाल परिसर में 216 फीट की ‘स्टैच्यू आॅफ इक्वैलिटी’ प्रतिमा लगाई गई है।
4- ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ को संत रामानुजाचार्य के जन्म के 1,000 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है. परियोजना की कुल लागत लगभग 1,000 करोड़ रुपए है।
5- दूसरी मंजिल पर लगभग 300,000 वर्ग फुट क्षेत्र में रामानुजाचार्य का मंदिर है, जहां पूजा के लिए उनकी 120 किलो सोने की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
6- ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ का उद्घाटन, रामानुजाचार्य की वर्तमान में जारी 1000 वीं जयंती समारोह यानी 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोह का एक भाग है।
7- आश्रम के पदाधिकारियों ने कहा है कि वे इसे विश्वव्यापी अपील देने के लिए मूर्ति के पास दुनिया के सभी देशों के झंडे लगाएंगे। उनका कहना है कि यह धर्म, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में संत रामानुजाचार्य द्वारा प्रचारित समानता के विचार के अनुसार प्रस्‍ताव‍ित है।
8- 14,700 वर्ग फुट की ऊपरी मंजिल पर एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और र‍िसर्च सेंटर भी है।
9- हवाई अड्डे और श्रीरामनगरम के आसपास के क्षेत्र में कुल 8,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
10- पीएमओ के मुताबिक यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है, इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं।

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