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पीएम मोदी का अमेरिका दौरा अहम, वैश्विक मंच पर उठेगा आतंक का मुद्दा

नई दिल्ली । अफगानिस्तान में हालात बदलने के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को लेकर सबसे बड़ी चिंता भारत की है। इसके पीछे की बड़ी वजह कई दशकों से भारत का आतंकवाद से पीड़ित होना है। पीएम नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि दुनिया आतंकवाद, अफगानिस्तान के हालात और क्षेत्रीय सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय मामले में इसके असर को लेकर गंभीर हो। इस मुद्दे पर दुनिया के देशों की राय एक हो और व्यापक निगरानी की सहमति बने। प्रधानमंत्री इसे अपने मुख्य एजेंडे में शामिल करके बुधवार की सुबह अमेरिका के लिए रवाना हो गए। वह इस मामले पर 24 सितंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से द्विपक्षीय चर्चा करेंगे और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस मुद्दे को पूरा जोर देकर उठाएंगे।

जो बाइडेन से होगी चर्चा

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि आतंकवाद और अफगानिस्तान के हालात तथा क्षेत्रीय सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर राष्ट्रपति जो बाइडेन से जरूर चर्चा करेंगे। अपनी चिंताओं को साझा करेंगे। अफगानिस्तान में अमेरिका के जाने के बाद बदले हालात पर बात होगी और प्रधानमंत्री का जोर रहेगा कि इस मामले पर संवेदनशीलता के साथ नजर रखी जाए। विदेश सचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक और वहां संबोधन में भी प्रधानमंत्री इस विषय पर जोर देंगे।

एनएसए अजीत डोभाल, विदेश मंत्री भी जाएंगे

प्रधानमंत्री 22 सितंबर को सुबह अमेरिका के लिए रवाना होंगे। प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, अमेरिका मामलों की संयुक्त सचिव वानी राव समेत कुछ अधिकारी जा रहे हैं। प्रधानमंत्री दिल्ली से सीधे न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए उड़ान भरेंगे। वहां भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद 24 सितंबर को वॉशिंगटन में व्हाइट हाऊस में क्वाड देशों के शिखर नेताओं की बैठक में हिस्सा लेंगे।

बाइडेन के साथ होगी द्विपक्षीय वार्ता

राष्ट्रपति बाइडन ने ग्लोबल कोविड-19 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। प्रधानमंत्री इसमें भी हिस्सा लेंगे। इसी दिन प्रधानमंत्री की राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। इसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके बाद 25 सितंबर को वॉशिंगटन से प्रधानमंत्री 26 जुलाई को नई दिल्ली लौट आएंगे। अमेरिका की इस यात्रा के दौरान उनकी जापान के प्रधानमंत्री के अलावा कुछ अन्य राष्ट्राध्यक्षों से भी द्विपक्षीय वार्ता प्रस्तावित है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने यात्रा के समय को कम कर दिया है, इसलिए बहुत कम राष्ट्राध्यक्षों से ही द्विपक्षीय चर्चा हो सकेगी। इसे बहुत सीमित करना पड़ा है।

अफगानिस्तान के हालात पर होगी बात

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बाइडन की चर्चा का मुख्य केन्द्र अफगानिस्तान के हालात क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद का खतरा ही रहने वाला है। इसके लिए प्रधानमंत्री अमेरिका से लगातार अफगानिस्तान के हालात पर नजर बनाए रखने का प्रस्ताव कर सकते हैं। दोनों नेताओं की चर्चा में व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, सूचनाओं की साझेदारी में मजबूती लाने, स्वच्छ ऊर्जा की साझेदारी को बढ़ाना रह सकता है। अपनी इस यात्रा में प्रधानमंत्री अमेरिका के कुछ सीईओ से मिल सकते हैं और उनके कार्यक्रम को संबोधित कर सकते हैं।

क्या तोहफा लेकर लौटेंगे पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा और राष्ट्रपति बाइडेन से भेंट पर कई देशों की निगाहें हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान से लेकर दुनिया के कई देश इससे निकलने वाले संकेतों पर निगाह लगाए हैं। विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी इस पहली आमने-सामने मुलाकात को बहुत महत्वपूर्ण मान रहे हैं। भारत अमेरिका से भी परमाणु पनडुब्बी समेत कुछ महत्वपूर्ण रक्षा सौदे के पक्ष में है। इसकी पहल भी हो रही है, लेकिन अमेरिका की तरफ से हरी झंडी का इंतजार है। दूसरी तरफ अमेरिका ने आस्ट्रेलिया को दक्षिण चीन सागर की चुनौतियों को देखते हुए परमाणु पनडुब्बी देने पर सहमति जता दी है। वहीं, अफगानिस्तान में लगातार बदल रहे हालात से भारत की चिंता काफी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है। यह परिस्थिति अमेरिका के अफगानिस्तान को छोड़कर जाने के बाद काफी गंभीर हुई है। ऐसे में भारत की निगाह अमेरिका से मिलने वाले भरोसे पर टिकी है।

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