नई दिल्ली। समुद्री विवाद का समाधान शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर होना चाहिए। समंदर पूरी दुनिया के लिए साझा धरोहर है। समुद्री रास्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा हैं, लेकिन आज इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आतंकवाद के लिए समुद्री मार्गों का दुरुपयोग हो रहा है।
यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय बैठक में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के विषय पर कही। मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली परिचर्चा की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि आज आतंकी घटना और समुद्री लुटेरों के लिए समंदर के रास्तों का इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए हम इस विषय को सुरक्षा परिषद के पास लेकर आए हैं। पीएम मोदी ने समंदर से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं से आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामना करने पर जोर देते हुए कहा कि हमें इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है और भारत ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं।
कई देशों में समुद्री विवाद पर चिंता
पीएम मोदी ने समुद्री डकैती और आतंकवाद के लिए समुद्री मार्गों के उपयोग और कई देशों में समुद्री विवाद पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं समुद्र से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में इस प्राकृतिक संसाधन के सहकारी उपयोग और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए हमें समन्वय के लिए एक ढांचा बनाने की जरूरत है। उन्होंने दुनिया के सामने समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए पांच सिद्धांत दिए।
मोदी ने ये बताए पांच सिद्धांत
पहला सिद्धांत
हमें समुद्री व्यापार से बाधाओं को हटाना चाहिए। हम सभी की समृद्धि समुद्री व्यापार के के सक्रिय गति पर निर्भर है। इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं।
दूसरा सिद्धांत
समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी भरोसे और विश्वास के लिए यह अति आवश्यक है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
तीसरा सिद्धांत
हमें प्राकृतिक आपदाओं और समुद्री डाकुओं द्वारा पैदा किए गए समुद्री खतरों का मिल कर सामना करना चाहिए। इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम लिए हैं। चक्रवात, सुनामी और प्रदूषण संबंधित समुद्री आपदाओं में हम फर्स्ट रेसपोंडर रहे हैं।
चौथा सिद्धांत
हमें समुद्री वातावरण और समुद्री संसाधनों को संजोकर रखना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, समुद्रों का जलवायु पर सीधा असर होता है। और इसलिए, हमें अपने समुद्री वातावरण को प्लास्टिक और तेल के रिसाव जैसे प्रदूषण से मुक्त रखना होगा।
पांचवां सिद्धांत
हमें जिम्मेदार समुद्री संपर्क को प्रोत्साहन देना चाहिए। यह तो स्पष्ट है कि समुद्री व्यापार को बढ़ाने के लिए आधारभूत ढांचों का निर्माण आवश्यक है। लेकिन, ऐसे आधारभूत संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं के विकास में देशों की राजकोषीय स्थिरता और अवशोषण क्षमता को ध्यान में रखना होगा।