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पीएम आवासों के नहीं मिल रहे खरीदार, अब किराए पर देने की बनाई योजना

इंदौर। निर्धन और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ते में आवास मुहैया करवाए जाने के मकसद से शहर के कई क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा हैं। शुरू में तो इस योजना को बेहतर प्रतिसाद मिला, लेकिन अब खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहर में बनाए गए मकानों की बिक्री नगर निगम नहीं कर पा रही है। इसके लिए पहले प्रयास भी किए गए थे, लेकिन लॉकडाउन के समय से निगम की गतिविधियां काफी समय तक रुकी ही रही। मकानों की बिक्री नहीं होने और तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए निगम प्रशासन ने अब लोगों को उक्त फ्लैट किराए पर उपलब्ध करवाए जाने की योजना को क्रियान्वित की हैं।

कंपनी की होगी पीएम आवास की जवाबदारी

जानकारों की माने तो प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैट यदि नहीं बिक रहे हैं तो उन्हें किराए पर भी दिया जा सकता हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार तीन बार टेंडर निकाला जा चुका है लेकिन किसी भी कंपनी ने इसके लिए रुचि नहीं दिखाई। अब विभाग की ओर से एक बार फिर टेंडर जारी किया गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में लगभग आधा दर्जन स्थानों पर बनाए जा रहे इन फ्लैटों को किराए पर देने के लिए पिछले दिनों टैंडर जारी किए गए थे। किसी ने भी इसके लिए रुचि नहीं दिखाई। दरअसल जो कंपनी इन फ्लैटों को लेगी उसे फ्लैटों को किराए पर देना, किराया वसूलने, खाली कराने से लगाकर हर किस्म की टूटफूट एवं रखरखाव की तमाम जवाबदारियां दी जाएगी। ऐसी तमाम नियम और सख्त निर्देशों के चलते कोई कंपनी रुचि नहीं दिखा रही हैं।

पीएम आवासों के नहीं मिल रहे खरीदार

जानकारों के अनुसार नगर निगम द्वारा पीएम आवास योजना के तहत 1, 2 और 3 बेडरुम, हाल, किचन (बीएचके) फ्लैट तैयार करवाए गए हैं। 1 बीएचके फ्लैट की कीमत जहां सात लाख है तो 2 बीएचके फ्लैट की कीमत 14 लाख और 3 बीएचके की कीमत 20 लाख रुपए रखी गई है। शुरुआती दौर में तो प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैट धड़ाधड़ बिके, लेकिन बाद में कोरोना महामारी और लॉकडाउन से उपजी आर्थिक मंदी के चलते इन फ्लैटों की बिक्री पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ा और खरीददार मिलने बंद हो गए। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री आवास योजना के फ्लैट लेने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

लोगों की पीएम आवास से अरुचि

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर निगम तमाम उपाय करके एक तरह से देखा जाए तो निवृत्त हो गया है, लेकिन योजना के फ्लैट कोई लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है। विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस योजना को शुरू करने के साथ ही बड़े पैमाने पर 1,2 और 3 बीएचके फ्लैटों का निर्माण किया था। अभी हालत यह है कि आवास मेला योजना के अलावा लोगों को मकान देखने के लिए निगम द्वारा वाहन भी उपलब्ध करवाए थे, लेकिन लोग रुचि नहीं ले रहे हैं। फ्लैटों की बुकिंग के लिए तमाम तरह का मेला लगाने के बावजूद लोगों ने आवास मेला योजना में रुचि नहीं ली तो कुछ लोग देखकर ही चले गए थे और उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया। अब निगम आवास योजना के तहत फ्लैट बेचने के लिए तमाम तरह की कोशिश में लगा है।

35 से 10 फीसदी पर पहुंच गई बुकिंग राशि

शुुरुआत में इन फ्लैटों की बुकिंग निर्माण लागत की 35 प्रतिशत राशि जमा करवाए जाने पर की जा रही थी। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से जब पीएम आवास योजना के फ्लैटों को खरीददार मिलना मुश्किल हो गया तो लोगों को लुभाने के लिए निगम द्वारा इन फ्लैटों को बेचने के लिए दस फीसदी राशि पर बुकिंग की योजना बनाई गई। बावजूद इसके निगम की यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। आखिरकार इन्हें किराये पर देने का निर्णय लेना पड़ा।

मेले से भी नहीं पड़ा फर्क तो अब लाए नई स्कीम

जानकारों के मुताबिक निगम द्वारा भूरी टेकरी से लेकर देवगुराड़िय़ा के साथ ही एरोड्रम रोड व अन्य कई जगह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित की है। यहां के फ्लैट बेचने के लिए आवास मेला भी कई बार लगाया गया है। बड़ा बांगड़दा के नजदीक बुड़ानिया गांव में भी अभी कई फ्लैट के निर्माण का काम लगातार चल रहा है तो दूसरी ओर तमाम कीमत कम होने के बाजवूद यहां फ्लैट लेने के लोग इच्छुक नहीं है। फिलहाल इस योजना पर काम चल रहा है और किसी भी कीमत पर नगर निगम आवास बेचने के लिए कोशिश में है ताकि आवास बेच सके और राजस्व मिल सके। योजना का लाभ पहले सिर्फ गरीब वर्ग के लिए था लेकिन अब होम लोन की रकम बढ़ाकर शहरी इलाकों के गरीब व मध्यम वर्ग को भी इसके दायरे में लाया गया है। शुरुआत में पीएमएवाई में होम लोन की रकम 3 से 6 लाख रुपए तक थी, जिस पर ब्याज पर सब्सिडी दी जाती थी, अब इसे 18 लाख रुपए तक कर दिया गया है। ईडब्ल्यूएस (निम्न आर्थिक वर्ग) के लिए सालाना घरेलू आदमनी 3 लाख रुपए तय है। एलआईजी (कम आय वर्ग) के लिए सालाना आमदनी 3 से 6 लाख रुपए के बीच होना चाहिए। अब 12 से 18 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वाले लोग भी इसका लाभ ले सकते हैं।

उम्मीद है मिलेगा बेहतर प्रतिसाद

हमने तीन बार टैंडर निकाले, लेकिन कोई कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। एक बार फिर टैंडर निकाला गया हैं। दरअसल जो कंपनी इन फ्लैटों को लेगी उसे फ्लैटों को किराए पर देना, किराया वसूलने, खाली कराने से लगाकर हर किस्म की टूटफूट एवं रखरखाव की तमाम जवाबदारियां दी जाएगी। उम्मीद है निगम की इस योजना को अब बेहतर प्रतिसाद मिले। महेश शर्मा, प्रभारी, प्रधानमंत्री आवास योजना

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