इंदौर। देश में बढ़ते पेट्रोल डीजल के भावों के बिच अब बायो सीएनजी को लाया जा रहा है। बतादें कि एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे लोकार्पित कर इंदौरवासियों को बधाई दी। सौर ऊर्जा से बिजली तैयार कर इस प्लांट को चलाए जाने की योजना है क्योंकि प्लांट के संचालन में वर्तमान में करीब 45 लाख रुपये प्रतिमाह बिजली खर्च होने का अनुमान है।
दरअसल, बिजली के खर्च को कम करने के लिए प्लांट परिसर में सौर ऊर्जा से बिजली तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। जिस एजेंसी ने ये प्लांट बनाया है वह टीनशेड के ढांचे की छत पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाएगी। यदि यह कारगर होता है तो प्लांट के संचालन के लिए लगने वाली कुछ बिजली का 21 प्रतिशत सौर ऊर्जा से बनाई गई बिजली से उपयोग हो सकेगा।
कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि ट्रेचिंग ग्राउंड के चारों ओर की परिधि में करीब 50 एकड़ का हिस्सा सोलर पैनल लगाने के लिए एजेंसी को दिया जा सकेगा। इससे भविष्य में प्लांट के संचालन में खर्च होने वाली बिजली का उत्पादन यहां लगाए जाने वाले सोलर पॉवर प्लांट से होगा।
गैस के साथ खाद और तरल फर्टिलाइजर भी प्लांट की खासियत को देखा जाए तो यहां हर तरह के कचरे का पूरा उपयोग किया जाएगा। मसलन गीले कचरे से बायो सीएनजी बनेगी तो गैस बनने के बाद जो गाद बचेगी उससे रोज सौ टन बायो खाद बनाई जाएगी। सूखे कचरे को करीब डेढ़ माह तक गलाया जाएगा जिसके बाद उसमें से प्लास्टिक आदि को अलग कर खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा। इसी तरह सीएनजी व बायो खाद बनने के बाद जो पानी बचेगा उसका ट्रीटमेंट कर उसे पुन: उपयोग में लिया जाएगा। ऐसा करने के लिए परिसर में 245 एमक्यू लीटर क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। प्लांट के 60 प्रतिशत पानी से गीले कचरे की कटाई कर स्लरी बनाने प्रयुक्त होगा तो 40 प्रतिशत तरल फर्टिलाइजर बनेगा। इससे ट्रेचिंग ग्राउंड पर लगाए गए पेड़-पौधों की सिंचाई होगी।