नई दिल्ली। लद्दाख के पैंगोंग झील के किनारे की चोटियों पर भारत से मुंह की खा चुके चीन ने तिब्बती नागरिकों को चीन की सेना में शामिल करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चीनी सेना ने तिब्बत के हर परिवार से कहा है कि वह अपने एक जवान सदस्य को चीनी सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) को सौंप दें। चीन को तिब्बत के नागरिक इसलिए चाहिए, ताकि वह उन्हें एलएसी पर भारत के मुकाबले के लिए खड़ा कर सके।
चीन कर रहा भारत की नकल
एलएसी पर भारत के मुकाबले के लिए ड्रैगन की नई चाल चीन ने तिब्बत के हर परिवार के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि उन्हें अपने एक युवा सदस्य को चीन की सेना में भेजना होगा। दरअसल, पिछले साल पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक के साउथ बैंक की चोटियों पर भारतीय सेना के स्पेशल फ्रंटियर फोर्स की मार को चीन की सेना अभी तक भुला नहीं पा रही है। लद्दाख की उस घटना से कुछ महीने पहले ही चीन की सेना के एक एक्सपर्ट ने पीएलए को आगाह किया था कि हाई एल्टीट्यूट की लड़ाई हुई तो भारतीय सेना का मुकाबला करना उनके वश की बात नहीं होगी। लद्दाख की चोटियों पर चीन की सेना को इसका पुख्ता अहसास भी हो चुका है। कुछ दिन पहले ही वन इंडिया ने आपको वह खबर दी थी कि कैसे चीन ने भारतीय फ्रंटियर फोर्स की नकल करना शुरू कर दिया है।
ये है खास वजह
लद्दाख में खराब मौसम के दौरान मोर्चे पर टिकने की क्या चुनौतियां है, पीएलए को यह बात अब अच्छी तरह से समझ में आ चुकी है। इसलिए उसे ऐसे सैनिक चाहिए, जो इन क्षेत्रों भारतीय जवानों के मुकाबले टिके रह सकें। लेकिन, चीन को तिब्बत के लोगों पर कभी भरोसा नहीं रहा है। शायद इसलिए वह बिना वफादारी परखे उनके भर्ती से परहेज कर रहा है। मसलन, पीएलए में शामिल होने वाले तिब्बतियों के चीन की मुख्य भाषा तो सीखनी ही पड़ रही है, सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी |ऑफ चाइना के भरोसे पर खरे उतरकर भी दिखाना पड़ रहा है।