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Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में पंचबलि से पितृ होते हैं तृप्त, जानिए इसका महत्व

Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में पितृों की आत्मा की शांति के लिए अनेक शास्त्रोक्त कर्मकांड किए जाते हैं। मृतात्माओं की आत्मा की शांति की प्रार्थना की जाती है और पितृों से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। पितृकर्म में पंचबलि का विशेष महत्व है और इस कर्म से पितृ तृप्त होते हैं।

पितृ आते हैं आपके द्वार

पितृ पक्ष के दौरान घर पर बने हुए भोजन का एक हिस्सा गाय, कुत्ता, कौआ या बिल्ली को देने का विधान है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि श्राद्धकर्म के भोजन के एक हिस्सा इन पशुओं को देने से भोजन पितरों को प्राप्त होता है। सनातन संस्कृति के धर्मग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पितृ पक्ष में जब पितृों के निमित्त श्राद्ध कर्म किया जाता है तो इस दौरान पितृ पशु-पक्षियों के माध्यम से अपने परिजनों के पास आते हैं और उनसे माध्यम से भोजन ग्रहण कर तृप्त होते हैं।

भोजन के होते हैं 5 हिस्से

श्राद्धकर्म में बनने वाले भोजन का एक हिस्सा गाय, कुत्ते, कौए और चींटी को दिया जाता है। इसलिए जब श्राद्ध किया जाता है तो उसे लिए बनने वाले भोजन के पांच हिस्से किए जाते है। इसमें से चार हिस्से गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए जबकि पांचवा हिस्सा देवताओं के लिए निकाला जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार कौआ वायु का, कुत्ता जल का, चींटी अग्नि का, गाय पृथ्वी का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं। इन पांचों को भोजन देकर हम पंचतत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

गौसेवा से होते हैं पितृ तृप्त

श्राद्धकर्म में गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के भोजन का अंश किसी पत्ते पर और कौवे का अंश भूमि पर रखते हैं। यह भी मान्यता है कि यदि पित-पक्ष के दौरान हम केवल गाय की सेवा करते हैं तो हमारे पितृ तृप्त हो जाते हैं। इसलिए गाय को हरा चारा पानी आदि देना चाहिए।

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