Pashu Pati Paras: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से बगावत करने वाले संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासवान के छोटे भाई और वरिष्ठ नेता पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं पार्टी बचाई है।
पशुपति कुमार पारस ने की बगावत
इससे पहले एक नाटकीय घटनाक्रम में लोजपा के सभी पांच बागी सांसदों ने सोमवार को चिराग के चाचा और पार्टी के वरिष्ठ नेता पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नया नेता चुन लिया। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा स्पीकर को खत भेजकर पार्टी पर अपनी दावेदारी भी जता दी। पार्टी में बगावत के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए पशुपति कुमार पारस ने इसे मजबूरी में लिया गया फैसला करार देते हुए इसकी वजहें गिनाईं।
चिराग पासवान के फैसले पर उठाए सवाल
पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोजपा के 99 फीसदी सांसद-विधायक और कार्यकर्ता चाहते थे कि गरीबों, मजलूमों और समाज के वंचित तबकों के हितों की रक्षा के लिए पार्टी एनडीए के साथ बनी रहें, लेकिन सबकी भावनाओं को दरकिनार करते हुए चिराग पासवान ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनको भतीजे चिराग पासवान से कोई गिला-शिकवा नहीं है। वे चाहें तो पार्टी में बने रह सकते हैं। वह अभी भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
लोकतंत्र समाप्त होने का लगाया आरोप
वहीं रामविलास पासवान के निधन के बाद अपने पिता की विरासत संभाल रहे चिराग पासवान के लिए अब तक का सबसे बड़ा सियासी संकट है। पशुपति पारस पासवान ने आरोप लगाया कि लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में पार्टी में लोकतंत्र समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा कि पार्टी स्वर्गीय रामविलास पासवान के दिखाए रास्ते पर चलती रहेगी और उन्होंने रामविलास पासवान के सपनों को साकार करने के लिए ही उन्हें यह कदम उठाया है।