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जनसंघ के संस्थापक सदस्य पं. दीनदयाल उपाध्याय की आज है पुण्यतिथि, जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

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Pandit Deendayal Updadhyaya: आज एकात्म मानववाद और अंत्योदय दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल की पुण्यतिथि है। 11 फरवरी 1968 को उनका निधन हुआ था। उनके निर्वाण दिवस को समर्पण दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आइए जानते हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय से जुड़ी कुछ खास बातें।

छोटी उम्र में मिला संघ का साथ

दार्शनिक और जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था। महज सात साल की उम्र में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था। स्कूली शिक्षा जीडी बिड़ला कॉलेज, पिलानी, और स्नातक की की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय के सनातन धर्म कॉलेज (एसडी) कॉलेज से पूरी की। साल 1937 में कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। साल 1942 में आर.एस.एस. के 40 दिवसीय शिविर में भाग लेने नागपुर चले गए।

1951 में बने जनसंघ के महासचिव

साल 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की और दीनदयाल उपाध्याय को पहला महासचिव नियुक्त किया। वे लगातार 1967 तक जनसंघ के महासचिव बने रहे। उनकी काबिलियत को देखकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था, ‘यदि मेरे पास दो दीनदयाल हों, तो मैं भारत का राजनीतिक चेहरा बदल सकता हूं।’ भारतीय जनसंघ के 14वें वार्षिक अधिवेशन में दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया।

लेखन में थी महारत हासिल

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की लेखन क्षमता अदभुत थी। उन्होंने साल 1940 में मासिक पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’में कार्य किया। आरएसएस के साप्ताहिक समाचार पत्र ‘पांचजन्य’ और एक दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेश’ का प्रकाशन उन्होने प्रारंभ करवाया था। इसके अलावा सम्राट चंद्रगुप्त’,‘जगतगुरु शंकराचार्य’,‘अखंड भारत क्यों हैं’,‘राष्ट्र जीवन की समस्याएं’,‘राष्ट्र चिंतन’और ‘राष्ट्र जीवन की दिशा’उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 11 फरवरी, 1968 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई । उनका शव मुगलसराय रेलवे यार्ड में पाया गया।