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टल सकते हैं पंचायत चुनाव, बिना ओबीसी आरक्षण चुनावों के पक्ष में नहीं सरकार

भोपाल। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव टल सकते हैं। प्रदेश सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं। राज्य के नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट है कि किसी भी स्थिति में ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न कराए जाए। भूपेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार के जो भी प्रयास है, जो भी कानूनी प्रयास किए जा रहे हैं, उसके परिणाम एक-दो दिन में सामने आएंगे। केंद्र सरकार के सहयोग पर भी विचार हो रहा है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हुई। आपने भी सुना ही होगा कि पांच बार कांग्रेस पार्टी ने जबलपुर हाईकोर्ट में स्टे के लिए रिट लगाई। जब पांच बार जबलपुर से स्टे नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट में रिट लगाई। कांग्रेस की रिट पर सुप्रीम कोर्ट ने पंचायतों में जो ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण है, उस पर रोक लगाई है। हम लोगों ने सारे प्रकरणों के क्रमांक सहित तारीखें और सारे तथ्य हाउस में रखे हैं। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी ओबीसी विरोधी है। कांग्रेस की वजह से ही सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विधिमंत्री के ध्यान में इस विषय को लाया गया है। सरकार इस बात का प्रयास कर रही है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पंचायत चुनाव में मिले।

ओबीसी सीटों पर फंसा पेंच

उन्होंने कहा कि हम सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में हम अपनी बात कैसे रख सकते हैं, और क्या रास्ते हो सकते हैं, सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। पंचायत चुनाव इस शर्त पर हो कि 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को मिले। कोर्ट के आदेश के बावजूद ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कैसे होंगे इस पर सरकार का सिर्फ इतना कहा है कि स्थिति एक दो दिन में साफ हो जाएगी। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर निर्वाचन की प्रक्रिया को जारी रखा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि ओबीसी सीटों को सामान्य घोषित कर अधिसूचना जारी की जाए।

जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीत सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सदन में ऐलान किया कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होगा। जरूरत पड़ी तो इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सीएम ने बताया कि इस मसले पर उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा हुई है। साथ ही कानूनविदों से भी इसपर मंथन किया गया।

सीटें सामान्य करने पर नाराजगी

पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण सरकार के गले की हड्डी बन गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी सीट को सामान्य किया जाना है, लेकिन ओबीसी नेता इससे नाराज हैं। पार्टी की दिग्गज ओबीसी नेता उमा भारती भी सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही थीं। अब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए सरकार वचनबद्ध है। हम ओबीसी हित में ही काम करेंगे।

कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर हुई बहस

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर बहस हुई। इस दौरान दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने एक-दूसरे को घेरने की कोशिश की। चर्चा का जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ओबीसी कल्याण के लिए राज्य सरकार ने कभी भी समझौता नहीं किया है। 8800 पदों पर भर्ती निकाली, जिस पर 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया गया है।

जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस

विधानसभा में चर्चा के दौरान राज्य के नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार ने नियम, प्रक्रिया के तहत पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। कांग्रेस ने ही पंचायत चुनावों को निरस्त कराने के लिए कोर्ट की शरण ली थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी रिजर्वेशन पर रोक लगा दी है तो इसकी जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस है।

गुमराह कर रही भाजपा

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल कहा है कि हम चुनाव के विरोध में नहीं हैं। चुनाव प्रक्रिया में आरक्षण रोटेशन में अनियमितताओं, विसंगतियों को सुधारने के लिए कांग्रेस कोर्ट में गई थी। भाजपा इस मुद्दे पर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

सरकार का तर्क

नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में ओबीसी की आबादी चूंकि 52 फीसदी है, इसलिए उसे 27 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था है कि विशेष परिस्थितियों में ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है

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