धार। ऐतिहासिक और पुरातात्िवक धरोहर मांडू की खुरासानी इमली का अपना अलग स्थान है। पूरे भारत में मांडू ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां यह दुर्लभ पेड़ पाए जाते हैं, लेकिन यहां यह बहुतायत में नहीं हैं। इसके बावजूद इन संरक्षित करने योग्य धरोहर को काटकर तस्करी करने की तैयारी की जा रही है। हैदराबाद के एक प्राइवेट गार्डन में इन पेड़ों को लगाने के लिए धड़ल्ले से इन्हें काटा जा रहा है।
मांडू से लगे आसपास के गांवों में बड़ी-बड़ी मशीनों से इन दुर्लभ पेड़ों की कटाई की जा रही है, साथ ही इन्हें ट्रालों पर रखकर ले जाने की कवायद की जा रही थी, लेकिन मांडूवासियों और सामाजिक संगठनों के विरोध के कारण इन ट्रालों को रोक दिया गया। इसके बाद मामला मीडिया में आया तो पटवारी से लेकर तहसीलदार और वन विभाग के अफसर इस मामले में तलब कर लिए गए। अब कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने मामले में खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
खुरासानी इमली के पेड़ों को काटने का सिलसिला अचानक से नहीं आया है। एक अनुमति के नाम पर गतवर्ष खुरासानी इमली के 18 पेड़ों को काटकर हैदराबाद ले जाया गया था, लेकिन इस बार दोबारा इमली के पेड़ों को काटने के लिए उसी निजी गार्डन के संचालक ने मशीनें और ट्रक भेज दिए। मांडू से लगे ग्राम पनाला और जीराबाद के आसपास खुरासानी इमली के हरे-भरे पेड़ कटवा दिए गए और इन्हें ले जाने के लिए ट्रक में लोड तक करवा लिया गया, लेकिन जब लोगों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने विरोध कर ट्रक वहीं खड़ा करवा दिया।

80 हजार रुपए में बेच रहे एक पेड़
खबर है कि मांडू में किसानों द्वारा रुपए लेकर खुरासानी इमली के पेड़ काटने के लिए दिए जा रहे हंै। ग्राम पनाला के एक बीचवान की मदद से किसानों को 80-80 हजार रुपए प्रति खुरासानी इमली के पेड़ के मान से रुपए देकर पेड़ों की कटाई करवाई गई। अब ऐसे में आशंका है कि खुरासानी इमली के पेड़ों की तस्करी शुरू कर दी गई है, लेकिन थोड़े से लालच में मांडू की दुर्लभ धरोहर से छेड़छाड़ की जा रही है।
कलेक्टर ने पूरे अमले को किया तलब
इस मामले के सामने आने के बाद कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक की। इसमें वन विभाग, राजस्व व पुलिस के साथ पूरे मामले की समीक्षा की गई। बैठक के बाद कलेक्टर ने बताया कि खुरासानी इमली का पेड़ दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है। जैव विविधता के नियमों की शिथिलता के कारण ऐसी स्थिति बनी है। इसे भी समाप्त करने के लिए शासन को प्रशासन की तरफ से प्रस्ताव भेजा जाएगा, साथ ही जिन पेड़ों को काटा गया है उन्हें फिर से प्लांट करने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है।
जनजातीय समाज का हो रहा आर्थिक नुकसान
अवैध तरीके से खुरासानी इमली के 40 पेड़ ले जाने से मांडू क्षेत्र में रहने वाले जनजाति समाज की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ने वाला है। खुरासानी इमली पर लगने वाले फल जनजातीय समाज के ग्रामीणों द्वारा विदेशियों को 150 से 200 रुपए तक प्रति फल और भारतीय पर्यटकों को 50 से 100 रुपए तक प्रति फल बेचा जाता है, साथ ही इस फल को काटकर इसका पैकेट 20 से 25 रुपए प्रति पैकेट बेचा जाता है। इस तरह के 7 पैकेट एक फल में बनते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने ग्रामीणों के साथ दिया धरना
इधर खुरासनी इमली की कटाई का मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिली थी। इस मामले में गुरुवार शाम कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता रेवती रमन राजूखेड़ी ने भी विरोध दर्ज कराते हुए ग्रामीणों के साथ मांडू के ग्राम पनाला में धरना दिया। इस दौरान चक्काजाम करते हुए कुछ देर के लिए ट्रैफिक भी जाम कर दिया गया था। इसके बाद प्रशासन की समझाइश के चलते यातयात बहाल कराया गया। जबकि धरना जारी रहा। राजूखेड़ी ने इमली के पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की है, साथ ही ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की भी बात कही है।
छह दिन से पेड़ ट्रालों में लोड कर खड़े हैं
खुरासानी इमली के पेड़ काटकर ट्रांसप्लांट करने हैदराबाद ले जाने के लिए शनिवार की रात को ही ट्रालों में लोड कर लिए गए थे। ग्रामीणों के विरोध करने पर पेड़ तस्कर ट्राले ले जाने में सफल नहीं हो पाए।
काटे गए पेड़ों को करेंगे ट्रांसप्लांट
खुरासानी इमली के पेड़ काटने और परिवहन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी के साथ काटे गए पेड़ों को पुन: उसी स्थान पर ट्रांसप्लांट करने के बारे में विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।
-प्रियंक मिश्रा, कलेक्टर , धार
टीपी निरस्त कर दी :
14/6/22 के अनापत्ति प्रमाणपत्र के आधार पर हमने टीपी जारी की थी, जो कलेक्टर के आदेश पर निरस्त कर दी गई है।
-जीडी वरवड़े डीएफओ, धार
पूर्व की अनुमति थी
हमारे पास पूर्व में ले जाए गए पेड़ों की अनुमति थी। उसी आधार पर हम ये पेड़ भी ले जा रहे थे। हमने वर्तमान में अनुमति न मिलने पर ये पेड़ यहीं छोड़ने का निर्णय लिया है।
-रामदेव राव व्यवसायी, हैदराबाद