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नॉर्दन अलायंस ने जंग में 350 तालिबानी लड़ाके मारने का किया दावा

काबुल। पंजशीर में तालिबान और नॉर्दन अलायंस के बीच मंगलवार रात फिर जंग शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने गोलबहार से पंजशीर को जोड़ने वाले पुल को उड़ा दिया है। भारी लड़ाई की वजह से पंजशीर को परवान प्रांत से जोड़ने वाली सड़क बंद हो गई है। तालिबान ने मुख्य रोड को कंटेनरों से बंद कर दिया है और शुतूल जिले पर अपना कब्जा कर लिया है। नॉर्दन अलायंस ने दावा किया है कि जंग में 350 से ज्यादा तालिबानी लड़ाके मारे गए हैं और भारी तादाद में हथियार और अमेरिकी गाड़ियों पर कब्जा कर लिया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है नॉर्दन अलायंस ने 40 से ज्यादा तालिबानियों को बंधक भी बना लिया है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन तालिबान से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा जा रहा है कि पंजशीर में लड़ रहे मुजाहिदीन के लिए दुआ कीजिए। इस तरह की सोशल मीडिया पोस्ट से तालिबान की स्थिति कमजोर होने के संकेत मिल रहे हैं।

परवान प्रांत के जबाल सराज जिले, बगलान प्रांत के अंदराब जिले और खवाक पंजशीर में भी लड़ाई हुई है। तालिबानी पंजशीर घाटी में घुसने की कोशिश रहे हैं, लेकिन विद्रोही लड़ाके उन्हें रोकने में कामयाब रहे हैं। बीती रात करीब 11 बजे पंजशीर के मुहाने पर गोलबहार इलाके में लड़ाई हुई है। नॉर्दन अलायंस को इस वक्त अहमद मसूद लीड कर रहे हैं।

एक तरफ चढ़ाई, दूसरी तरफ शांति की अपील

तालिबान नेता ने कहा कि पंजशीर में कुछ लोग (रिजिस्टन्स फोर्स) लड़ना चाहते हैं। उन्होंने पंजशीर के लोगों से उन्हें शांतिपूर्ण समाधान के लिए समझाने को कहा। बंदूक की के दम पर देश पर कब्जा करने वाले संगठन के नेता ने कहा कि तालिबान अभी भी शांति के साथ मुद्दे को सुलझाना चाहता है। तालिबानी नेता ने यह अपील ऐसे समय पर की है जब बुधवार को भी तालिबान और रिजिस्टनस फोर्स के बीच में झड़प चल रही है।

अहमद मसूद को मारने का इरादा

ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मुहम्मद जोहिर अगबर ने कहा है कि तालिबान समूह पंजशीर में प्रतिरोध मोर्चे के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत नहीं करेगा और वह इसके नेता अहमद मसूद को मारने का इरादा रखता है। अगबर ने कहा कि तालिबान उनके साथ (पंजशीर में प्रतिरोध के नेता) कभी बातचीत नहीं करेगा। वे राजनेता नहीं हैं, बल्कि आतंकवादी हैं और तीन साल पहले से ही कई देशों की संगठनों की सूची में हैं। उन्होंने कहा कि वे ढीठ और आक्रामक हैं। उनका लक्ष्य पूरे अफगानिस्तान को अपने घुटनों पर लाना है। दोहा वार्ता में किसी भी शर्त से उनकी सहमति नहीं हैं। उनका लक्ष्य प्रतिरोध के नेताओं, खासकर अहमद मसूद को खत्म करना है।

1500 किमी पैदल चलकर तुर्की और ईरान भाग रहे हजारों लोग

काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सेना के जाने के बाद अफगानिस्तान से लोगों के पलायन का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तालिबान की क्रूरता और उनकी खौफ की वजह से लोग किसी भी तरह देश छोड़ देना चाहते हैं। एयरपोर्ट बंद है, लेकिन लोगों के पैर नहीं। ताजा मामला अफगानिस्तान से लगे पाकिस्तान, तुर्की और ईरान बॉर्डर का है। यह इलाका पहाड़ों और रेतीले रास्तों से होकर पड़ोसी देश की सीमाओं को छूता है। काबुल एयरपोर्ट पर तालिबानी लड़ाकों के कब्जे के बाद लोग इन्हीं रास्तों से इन मुल्कों में अपनी जान की दुहाई देकर शरण ले रहे हैं। डेली मेल ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें हजारों की संख्या में महिलाएं (गर्भवती भी शामिल), बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान इन रास्तों से तालिबान के साए से दूर जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस भीड़ में कई ऐसे लोग भी हैं, जो पैदल ही 1500 किलोमीटर पैदल चलकर तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान भाग रहे हैं।

आईएसआईएस-के पर हवाई हमलों की तैयारी में ब्रिटेन

ब्रिटेन ने कहा है कि वह आईएसआईएस-के के ठिकानों पर कभी भी हमला कर सकता है। हाल ही में पेंटागन ने खुलासा किया है कि अफगानिस्तान में इस समय करीब 2 हजार आईएसआईएस-के के लड़ाके मौजूद हैं। ब्रिटेन के वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल सर माइक विग्सटन ने सोमवार को बताया कि ब्रिटेन आईएसआईएस-के के खिलाफ कार्रवाई में शामिल हो सकता है। उन्होंने काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इस दुख के समय में ब्रिटेन अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ खड़ा है। हम इस आतंकी संगठन के खात्मे के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन सरकार के अफसरों ने एयर स्ट्राइक के लिए लॉजिस्टिक्स की जांच की है। उन्होनें रॉयल एयर फोर्स के लड़ाकू विमान के टारगेट, रिफ्यूलिंग और बेस की स्थिति का मुआयना किया है। विग्सटन ने बताया कि हम स्ट्राइक के जरिए, सेना भेजकर या किसी देश के इक्विपमेंट का प्रयोग करके आतंकी संगठन पर हमला कर सकते हैं।

जो बाइडेन और अशरफ गनी की बातचीत लीक

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद अब पंजशीर को छोड़कर हर जगह तालिबान का राज है। 15 अगस्त को अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने तेजी से काबुल पर भी कब्जा कर लिया था। इससे 23 दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और अशरफ गनी के बीच 14 मिनट लंबी बातचीत हुई थी। रॉयटर्स ने इस बातचीत पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन ने गनी से तालिबान को रोकने का प्लान मांगा था। बाइडेन ने कहा था कि प्लान मिलने के बाद ही वे मदद भेजेंगे। इससे पहले अमेरिका ने अफगान आर्मी के सपोर्ट में एयरस्ट्राइक्स भी की थीं। बाइडेन चाहते थे कि अफगानिस्तान के जनरल बिस्मिल्लाह को तालिबान के खिलाफ लड़ने की जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। फोन कॉल से जाहिर हो रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अफगानिस्तान की सेना को मदद पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि अगले ही महीने तालिबान अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा करने वाला है। बातचीत के दौरान अशरफ गनी ने पाकिस्तान को लेकर बाइडेन को चेतावनी भी दी थी। गनी ने कहा था कि पाकिस्तान ने अपने 10 से 15 हजार लड़ाके तालिाबन को सपोर्ट करने के लिए भेजे हैं। वे अफगानिस्तान में तालिबान की तरफ से लड़ रहे हैं। इस बार तालिबान ने पूरी ताकत से हमला किया है।

अमेरिका पर रूस ने कसा तंज, 20 साल में हासिल किया जीरो

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान मसले को लेकर अमेरिका को जमकर कोसा है। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप से सभी पक्षों को नुकसान पहुंचा है। अमेरिका ने नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं हासिल किया है। यह बताता है कि किसी देश पर विदेशी मूल्यों को थोपना असंभव है। अगर कोई किसी के लिए कुछ करता है, तो उन्हें उन लोगों के इतिहास, संस्कृति, जीवन दर्शन के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। उनकी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। पुतिन ने आगे कहा है कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में 20 सालों तक रही। उस 20 सालों में उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों को अमेरिकी सभ्यता सिखाने की नाकाम कोशिश की। उन्होंने आगे कहा है कि इस पूरे मामले का नतीजा अगर नकारात्मक नहीं है तो शून्य है। बता दें कि अमेरिकी सेना पूरी तरह से 31 अगस्त को अफगानिस्तान से लौट गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे सैन्य अभियानों के एक युग का अंत बताया था।

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