“‘बांग्लादेश सीमा से हटेंगे कंटीले तार’, बीजेपी सांसद के बयान से पार्टी में मुश्किलें खड़ी, टीएमसी को मिला मौका
कोलकाता । पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। रानाघाट से बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार (BJP MP Jagannath Sarkar) के एक बयान ने न केवल विपक्ष (Opposition) को हथियार दे दिया है, बल्कि उनकी अपनी पार्टी को भी असहज कर दिया है। एक वायरल वीडियो में सरकार ने कहा कि अगर 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता में आती है, तो भारत-बांग्लादेश सीमा (India-Bangladesh border) पर कंटीली तारों (barbed wire) की बाड़ नहीं रहेगी। यह बयान न केवल सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि बीजेपी की उस नीति पर भी तंज कस रहा है, जिसमें वे अवैध घुसपैठियों को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर लगातार हमलावर हैं। फिलहाल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साध रखी है, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने इसे लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।
रानाघाट से सांसद जगन्नाथ सरकार ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि उनका आशय सीमा सुरक्षा से नहीं, बल्कि विकास और समृद्धि से था। उन्होंने कहा कि मेरा रुख वही है। अभी भारत-बांग्लादेश सीमा पर कंटीली तारों की जरूरत है, लेकिन जब बीजेपी पश्चिम बंगाल में सत्ता में आएगी और बंगाल तरक्की करेगा, तब बांग्लादेश खुद देखेगा कि हम कितने आगे बढ़ गए हैं। तब सीमा पर तार की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।
वायरल वीडियो से उठा विवाद
30 अक्टूबर को कृष्णागंज में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिए गए उनके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में वह कहते सुने गए, ‘हम वादा करते हैं कि अगर इस बार हम चुनाव जीतते हैं, तो भारत और बांग्लादेश के बीच की कांटेदार तार वाली बाड़ खत्म हो जाएगी। हम पहले एक थे और भविष्य में फिर से एक हो जाएंगे।’
इस बयान के बाद टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि बीजेपी की दोहरी नीति अपने चरम पर है। एक ओर रानाघाट के सांसद कहते हैं कि बीजेपी की सरकार बनने पर भारत-बांग्लादेश की सीमाएं खत्म हो जाएंगी और दोनों देश फिर एक हो जाएंगे, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसी सीमा की ‘सुरक्षा’ के लिए राज्य सरकार को दोष देते हैं। बीजेपी की चुप्पी यह संकेत देती है कि यह बयान शीर्ष नेतृत्व की सहमति से दिया गया है।
बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है- जगन्नाथ सरकार
अभिषेक बनर्जी के आरोपों का जवाब देते हुए जगन्नाथ सरकार ने कहा कि उनके बयान को संदर्भ से अलग पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक समय हम एक ही थे। बांग्लादेश का जन्म भारत से ही हुआ। जब बंगाल फिर ‘शोनार बांग्ला’ बनेगा, तब बांग्लादेश खुद हमारे विकास को देखकर महसूस करेगा कि उन्हें भी हमारे साथ होना चाहिए। तब सीमा पर कांटेदार तार की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी का लक्ष्य विकास है, न कि धार्मिक या साम्प्रदायिक राजनीति।
भाजपा सांसद ने आगे कहा कि कम्युनिस्ट और टीएमसी ने मुसलमानों के बीच यह प्रचार किया है कि बीजेपी मुस्लिम-विरोधी है। लेकिन गुजरात जैसे बीजेपी शासित राज्य में बड़ी मुस्लिम आबादी विकास का लाभ उठा रही है। हम सबके विकास में विश्वास करते हैं।
बीजेपी नेतृत्व की चुप्पी
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। पार्टी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने केवल इतना कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता इस मामले पर ध्यान देंगे।
चुनावी संदर्भ और राजनीतिक असर
जगन्नाथ सरकार का यह बयान उस समय आया है जब पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच टकराव तेज है। बीजेपी इस प्रक्रिया को बांग्लादेशी घुसपैठियों को हटाने का तरीका बता रही है, जबकि टीएमसी इसे गुपचुप एनआरसी (NRC) कह रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान बीजेपी के लिए एक दुविधा भरा क्षण है। एक ओर पार्टी बांग्लादेश से घुसपैठ के खिलाफ सख्त रुख अपनाती रही है, वहीं दूसरी ओर सांसद का यह बयान उसी नैरेटिव के विपरीत जाता है।
बीजेपी ने पिछले साल झारखंड विधानसभा चुनाव में भी घुसपैठ का मुद्दा उठाया था, लेकिन उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली। अब बिहार के सीमांचल क्षेत्र में भी पार्टी ने घुसपैठियों का मुद्दा फिर से उठाया है। हालांकि, बंगाल में मतुआ समुदाय की नाराजगी को देखते हुए पार्टी को बेहद सावधानी से कदम उठाने पड़ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में मतुआ वोटरों की मदद से बीजेपी ने बंगाल में 18 सीटें जीती थीं, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने इस समुदाय में अपनी पकड़ फिर मजबूत कर ली।

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