इंदौर। पहली बार उन्नत स्ट्रोक प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युक्त स्ट्रोक मैनेजमेंट प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। यूएसएफडीए द्वारा स्वीकृत एआई प्लेटफॉर्म को क्लीनिकल ट्रायल्स द्वारा भी मान्य किया गया है। अभी इस्तेमाल की जाने वाली इमेजिंग तकनीक में एक घंटे तक का समय लगता है, जो एआई सॉफ्टवेयर से दो मिनट से भी कम में हो जाएगा। स्ट्रोक में जहां हर सेकंड मायने रखता है। इस तकनीक के जरिए त्वरित निर्णय और इलाज में मदद मिलेगी। यह प्रयास शहर के एक निजी हॉस्पिटल व मेडट्रॉनिक्स इंडिया की साझेदारी में लाया गया है। इसका उद्देश्य स्ट्रोक प्रबंधन को अगले स्तर तक ले जाना है। 4 में से 1 व्यक्ति होता है स्ट्रोक का शिकार जानकारों के अनुसार विश्व स्ट्रोक संगठन के आंकड़ों के अनुसार स्ट्रोक एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। 25 साल से अधिक उम्र का हर 4 में से 1 व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी न कभी स्ट्रोक का शिकार जरुर होता है। आज स्ट्रोक मौत का चौथा प्रमुख कारण है और भारत में लगभग 18 लाख लोग हर साल स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं, सिर्फ समय पर प्रारंभिक उपचार मिलने से ही रोगियों की संख्या और मृत्युदर में कमी आ सकती है। एआई प्लेटफॉर्म इस दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।
निदान का समय 60 मिनट से कम होकर 2 मिनट हो जाएगा
न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक स्पेशलिस्ट के अनुसार स्ट्रोक प्रबंधन में एआई प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से निदान का समय 60 मिनट से कम होकर 2 मिनट हो जाएगा। समय की बचत मस्तिष्क की कोशिकाओं की बचत होती हैं, क्योंकि हर मिनट की देरी से मस्तिष्क की 2 मिलियन और कोशिकाएं मर जाती हैं। त्वरित निदान से स्ट्रोक के उपचार के बीच का समय काफी कम हो जाता है और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही इससे अस्पताल एवं फॉलो-अप और रिहैबिलिटेशन में भी बचत होती है। अस्पताल अज्ञैर मेडट्रॉनिक की यह पार्टनरशिप स्ट्रोक के प्रबंधन में एक व्यापक बदलाव लाने के साथ ही एक समान स्ट्रोक प्रोटोकॉल और एक विश्व स्तरीय स्ट्रोक कार्यक्रम का निर्माण करेगी। इस पार्टनरशिप में एक संरचित प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम को भी शामिल किया गया है। पार्टनरशिप से रोगी को कई लाभ होंगे। एआई से स्ट्रोक चिकित्सक के लिए कुछ ही समय में स्कैन मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगा। इस तकनीक से सही इलाज विकल्प जैसे इंट्रावेनस थ्रोम्बोलिसिस, मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी चुनने में भी मदद मिलेगी।
प्राप्त होते हैं बेहतर परिणाम
स्ट्रोक प्रबंधन में एआई प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से निदान का समय 60 मिनट से कम होकर 2 मिनट हो जाएगा। समय की बचत मस्तिष्क की कोशिकाओं की बचत होती है, क्योंकि हर मिनट की देरी से मस्तिष्क की दो मिलियन और कोशिकाएं मर जाती है। त्वरित निदान से स्ट्रोक के उपचार के बीच का समय काफी कम हो जाता है और बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। डॉ. निपुण पुराणिक, सीनियर इंटरवेंशन न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक स्पेशलिस्ट