Mradhubhashi
Search
Close this search box.

NCERT ने 3.79 लाख स्टूडेंट्स पर सर्वेक्षण के बाद स्कूलों को जारी किए दिशानिर्देश

नई दिल्ली। स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के बीच कराए गए मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा विद्यार्थियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की लिए प्रारंभिक पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। एनसीईआरटी द्वारा स्कूलों के लिए जारी दिशानिर्देशों में मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति का गठन, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के वास्ते शैक्षणिक सहायता आदि शामिल हैं। पिछले सप्ताह आई सर्वेक्षण रिपोर्ट में विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों में तनाव और चिंता के प्रमुख कारकों में परीक्षा, परिणाम और साथियों के दबाव का हवाला दिया गया है।

विद्यालयों की जिम्मेदारी

एनसीईआरटी के दिशानिर्देशों के अनुसार, विद्यालयों को आमतौर पर ऐसे स्थान के रूप में देखा जाता है जहां विद्यार्थियों के एक सुरक्षित वातावरण में विकसित होने की उम्मीद की जाती है। स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्य, शिक्षक, अन्य कर्मचारी और विद्यार्थी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विद्यालयों में साल में लगभग 220 दिन बिताते हैं। आवासीय विद्यालयों में एक विद्यार्थी द्वारा बिताया गया समय और भी अधिक होता है। इसलिए, विद्यालयों और छात्रावासों में सभी बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण, स्वास्थ्य और भलाई सुनिश्चित करना विद्यालयों की जिम्मेदारी है।

समिति में शिक्षक, माता-पिता और विद्यार्थी होंगे

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि प्रत्येक विद्यालय या विद्यालयों के समूहों को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनानी चाहिए। इसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य द्वारा की जानी चाहिए। इसमें शिक्षक, माता-पिता, विद्यार्थी, पूर्व विद्यार्थी सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इस बात पर गौर करते हुए कि मानसिक स्वास्थ्य के अधिकतर मुद्दे जीवन के प्रारंभिक चरण में सामने आते हैं, एनसीईआरटी ने सिफारिश की है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को प्रारंभिक संकेतों के बारे में सूचित करें।

देश में 33 फीसदी विद्यार्थी रहते हैं दबाव में

एनसीईआरटी ने सभी राज्यों में 3.79 लाख विद्यार्थियों पर मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को लेकर सर्वेक्षण के बाद यह खुलासा किया था कि देश में 33 फीसदी विद्यार्थी परीक्षा और परिणाम की चिंता के कारण हमेशा दूसरों के मुकाबले दबाव में रहते हैं।

45 फीसदी बच्चे शारीरिक छवि को लेकर तनाव में

सर्वे के अनुसार, 73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं, जबकि 45 फीसदी शारीरिक छवि को लेकर तनाव में हैं। एनसीईआरटी ने बताया, बच्चे जब मध्य कक्षा से सेकंडरी कक्षा में गए, तो निजी और स्कूली जीवन को लेकर संतुष्टि की भावना में कमी देखी गई। सेकंडरी स्तर पर पहचान के संकट, रिश्तों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, समकक्षों के दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, भविष्य में प्रवेश को लेकर चिंता और अनिश्चितता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं।

तीन महीने सर्वे, बच्चों की पहचान गोपनीय

एनसीईआरटी की मनोदर्पण इकाई को सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी। कक्षा छह से आठ और नौ से 12 के छात्र-छात्राओं को शामिल करते हुए जनवरी से लेकर मार्च 2022 तक यह सर्वे किया। सर्वे में बच्चों की पहचान गोपनीय रखी गई, जिसके कारण उन्हें अपनी बात कहने के लिए सही वातावरण मिला।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट