Naseeruddin Shah Statement on Mainstream Cinema: बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने इंडस्ट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है। नसीरुद्दीन शाह ने कहा है कि हमारे मेनस्ट्रीम सिनेमा ने दर्शकों के टेस्ट को बर्बाद कर दिया है। नसीरुद्दीन (Naseeruddin Shah) ने कहा कि फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने 50 साल पहले लिखी अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया था। उनकी किताब हमारी फिल्में, उनकी फिल्में में भारतीय फिल्मों की आलोचना की गई है। हालांकि वह केवल भारतीय फिल्म निर्माताओं की अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं से तुलना कर रहे थे।
सत्यजीत रे चाहते थे कि हमारे दर्शक ज्यादातर समझदार हों। उन्होंने दर्शकों के महत्व पर भी जोर दिया, जो फिल्म निर्माता से सवाल करते हैं। नसीरुद्दीन (Naseeruddin Shah) के मुताबिक सत्यजीत रे ने कहा था कि हमें वैसे दर्शकों की जरूरत है, जो गुस्सा करते हों। जिज्ञासु हों। हर वक्त दर्शकों की कोमल संवेदनाओं को ध्यान में रखना सही नहीं है। नसीरुद्दीन ने कहा कि मैं मेनस्ट्रीम सिनेमा में सकारात्मक बदलाव का इंतजार कर रहा हूं।
मुख्यधारा की फिल्मों में महाभारत के संदर्भ
एक्टर ने बताया कि हमारे इंडस्ट्री को 100 साल से अधिक समय हो चुका है। इसके बाद भी हमारे यहां एक तरह की ही फिल्में बनाई जाती हैं। कई कहानियां, जो मेनस्ट्रीम फिल्मों में मिलती हैं, वह यहां मिल सकती हैं। कहा कि आप भारत में जो मुख्यधारा की फिल्म देखते हैं, उसमें महाभारत का कुछ-न-कुछ संदर्भ या तो शेक्सपियर का होता है। भारतीय हिंदी सिनेमा में हर घिसे-पिटे शब्द को भारी मात्रा में उधार लिया गया है।
Naseeruddin Shah ने 2006 में की थी निर्देशन की शुरुआत
2006 में नसीरुद्दीन शाह ने फिल्म यूं होता तो क्या होता से निर्देशन में अपना कदम रखा था। 17 साल बाद उन्होंने शॉर्ट फिल्म मैन वुमन, मैन वुमन का निर्देशन किया है। फिल्म में रत्ना पाठक शाह और उनके बेटे विवान शाह की अहक भूमिका है।