Narmada Jayanti 2021: मां नर्मदा के जल को पवित्र और मोक्षप्रदाता कहा जाता है। इसके जल में डुबकी लगाने मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथी को मां नर्मदा के प्रकटोत्सव के दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है।
मां नर्मदा को कहा जाता है रेवा
पौराणिक आख्यान के अनुसार, मां नर्मदा तपस्या में बैठे भगवान शिव के पसीने से प्रकट हुई थी। नर्मदा ने प्रकट होने के साथ ही अपने अदभुत सौंदर्य से ऐसी अनोखी लीलाएं प्रस्तुत की। इससे शिव-पार्वती बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने इस नदी का नामकरण करते हुए कहा- हे देवी, तुमने हम दोनो को प्रसन्न कर दियाहै इसलिए आज से तुम्हारा नाम नर्मदा होगा। शास्त्रों में नर्मदा अर्थ बताते हुए कहा है कि नर्म का अर्थ है- सुख और दा का अर्थ है- देने वाली अर्थात सुखों को देने वाली। नर्मदा का एक नाम रेवा भी है।
महादेव से हुई दिव्य वरदानों की प्राप्ति
भगवान लक्ष्मीनारायण आदि देवताओं ने इस कन्या का नाम नर्मदा रख दिया था। मान्यता है कि नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दिव्य वर्षों तक तपस्या कर महादेव से दिव्य वरदानों की प्राप्ति की थी। देवी नर्मदा ने प्रलय में भी नाश न होने, विश्व की एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध होने, हर पाषाण शिवलिंग के रूप में पूजित हो और मेरे तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें इस तरह के वरदान भोलेनाथ से प्राप्त किए थे।