मुंबई। महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस मुख्यालय समेत कई अहम ठिकाने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के निशाने पर हैं। इस बात का खुलासा खुद नागपुर के पुलिस कमिश्नर ने किया है। इस जानकारी के बाद सभी महत्वपूर्ण ठिकानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। नागपुर के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि नागपुर के कुछ महत्वपूर्ण स्थान आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के रडार पर हैं। उन्होंने बताया कि जैश ने नागपुर के संवेदनशील ठिकानों की रैकी की है।
फोटोग्राफी और ड्रोन उड़ाने पर लगी रोक
पुलिस कमिश्नर के मुताबिक यह जानकारी मिलने के बाद सभी महत्वपूर्ण और संवेदनशील ठिकानों की सुरक्षा में इजाफा किया गया है। वहां अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. जिसमें संघ का मुख्यालय भी शामिल है। हर तरफ पुलिस चौकसी बरत रही है। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरएसएस मुख्यालय परिसर और उसके आस-पास फोटोग्राफी और ड्रोन उड़ाने पर भी रोक लगा दी गई है। इसी तरह से अहम ठिकानों को लेकर भी सावधानी बरती जा रही है। अमितेश कुमार ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकियों ने करीब दो-तीन महीने पहले नागपुर में रैकी की थी। इसके बारे में अधिकारियों को बाद में पता चला। लेकिन फिर भी नागपुर पुलिस के अधिकारियों ने जरूरी कदम नहीं उठाए थे।
आईएसआईएस के आतंकियों को सजा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को साजिश में शामिल होने के लिए मुंबई से गए मोहसिन सैयद और रिजवान अहमद को 8 साल की सजा सुनाई है। इन्हें अदालत ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 20 के तहत दोषी ठहराया था। दोनों पर 10-10 हजार का जुमार्ना भी लगाया गया है। इसे अदा नहीं करने की सूरत में सजा 3-3 महीने बढ़ा दी जाएगी।
आतंकियों ने अपराध किया स्वीकार
इन दोनों लोगों ने अपने आवेदन में 2015 में आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने का अपराध स्वीकार किया था। एनआईए के विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने कहा कि दोनों आरोपियों मोहसिन सैय्यद(32 साल) और रिजवान अहमद(25 साल) ने पिछले महीने मामले में अपना दोष स्वीकार करने के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने बुधवार यानि 5 जनवरी को दोनों आरोपियों को आरोपों और दोषी साबित होने पर दी जाने वाली सजा के बारे में जानकारी दी थी।
गुनाह कबूल करने की वजह से नहीं हुई उम्रकैद
यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत दोनों को कम से कम तीन साल की सजा और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती थी। लेकिन दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, इसलिए अदालत ने दोनों को 8 साल की सजा सुनाई है। आरोपियों ने अदालत को बताया कि उन्हें पहले से इस सजा के बारे में जानकारी थी, इसके बावजूद दोनों ने अपनी इच्छा से अपना अपराध स्वीकार करने की मांग की थी।