Nag Panchami 2021: सनातन संस्कृति में नाग को देवतुल्य मानकर उनकी उपासना की जाती है। महादेव के गले में सर्प है और अनेकों धर्मग्रंथों में इनका महिमामंडन किया गया है। शुक्रवार 13 अगस्त को नागपंचमी है। इस दिन नागों की पूजा का विशेष महत्व है।
‘समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्। ’
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी कहा जाता है और इस दिन सर्प पूजा का विशेष विधान है। शास्त्रों में अनंत, वासुकि, शेष, पद्मनाभ, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिय और पिंगल, इन 12 देव नागों का वर्णन किया गया है और इन सभी का स्मरण अद्भुत फलदायक है। मान्यता है कि साल के बारह महीनों में इनमें से एक-एक नाग की पूजा करनी चाहिए इससे कष्टों का नाश होता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नागों की पूजा से भय समाप्त होता है और संतान की प्राप्ति होती है। नागपूजा राहु और केतु की खराब दशा से गुजरने वालों को भी शुभ फल प्रदान करती है।
12 नाग है 9 ग्रहों के स्वरूप
12 देव नाग नौ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें सूर्य का अनंत नाग, चंद्रमा का वासुकि, भौम का तक्षक, बुध का कर्कोटक, वृहस्पति का पद्म, शुक्र का महापद्म और शनि ग्रह का रूप हैं कुलिक और शंखपाल। यदुकुलवंश के कुलगुरु और भगवान कृष्ण की कुंडली देखने वाले गर्ग ऋषि ने शेषनाग से ज्योतिष विद्या का ज्ञान प्राप्त किया था। नागपंचमी पर कई जगहों पर घर के दरवाजे के दोनों ओर गोबर के प्रतिकात्मक नाग बनाने की परंपरा है। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्र मंदिर के द्वितीय तल पर नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा विद्यमान है। 11वीं शताब्दी की परमारकालीन यह प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ होने के साथ चमत्कारी भी है। मान्यता है की तक्षक नाग यहां पर निवास करते हैं और उनको एकांत प्रिय है इसलिए इस मंदिर को वर्ष में केवल एक बार श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाता है।