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निगम की गलती का खामियाजा भुगत रहा गरीब परिवार, खुले में रहने को है मजबूर

इंदौर। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रदेश भर में चलाए जा रहे एन्टी माफिया अभियान के तहत इंदौर नगर निगम द्वारा की जा रही करवाई में कुछ गलतियां भी सामने आई है, ऐसा ही एक मामला सामने आया है इंदौर क्षेत्र क्रमांक 4 के आकाश नगर से जहा अतिक्रमण के दौरान 2 गरीब परिवारों के आशियाने उजड़ गए, वही वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा घरो को मरम्मत करवाने के अपने ही आश्वासन से पलटते नजर आ रहे है, जिसका खामियाजा इन गरीब परिवारों को भुगतना पढ़ रहा है।

कड़ाके की ठंड में छीना आशियाना

इस कड़ाके कि ठंड और बरसते पानी में खुले आसमान के नीचे बच्चों सहित दिन गुजारने को मजबूर हैं हुकुमचंद नायक और लीला बाई। आस पास में रहने वाले इन दोनों ही परिवारों का कसूर इतना था कि ये एक गुंडे के पड़ोसी है। पेशे से दिहाड़ी मजदूर हुकुम चंद और लीला बाई के कच्चे मकान का पूरा हिस्सा पिछले दिनों निगम की गलती के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था, अपने बूते फिर से अपना आशियाना बनाने में असमर्थ इन दोनों परिवारों की आस इंदौर नगर निगम पर टिकी हुई है, लेकिन निगम प्रशासन है कि इनकी तरफ आंख तक नही फेर रहा।

निगम ने दिया है घर बनाने का आश्वासन

वही सैकड़ो बार इंदौर नगर निगम के चक्कर लगा चुके इन दोनों परिवारों को वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी भी प्रकार का मुआवजा देने या मदद करने से स्पष्ट मना कर दिया है, जबकि कुछ दिन पूर्व ही नगर निगम ने इस गलती को मानते हुए इन परिवारों के घरों का पुनः निर्माण कर देने की बात कही थी, लेकिन अब अपनी ही जुबान से पलटे निगम उपायुक्त के इस रवैये से इन दोनों ही परिवारों को खुले आसमान के नीचे रहने को मजबुर होना पड़ रहा है। वही अतिक्रमण करवाई के दौरान इन लोगो का गृहस्ती का सामान भी मलबे में समा गया था।

निर्माण का रास्ता देख रहे हैं परिवार

इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 के आकाश नगर में पिछले दिनों एंटी माफिया अभियान के तहत इंदौर नगर निगम द्वारा क्षेत्र के गुंडे रघुवीर के भवन पर अतिक्रमण की कार्रवाई की गई थी, इस कार्रवाई के दौरान अतिक्रमण दस्ते की गलती से पास ही बने 2 कच्चे मकानों पर गुंडे के मकान का मलबा गिर गया था जिससे इन गरीब परिवारों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, मौके पर मौजूद इंदौर नगर निगम के उपायुक्त देवेंद्र सिंह ने इसको निगम की गलती मानते हुए तत्काल घर की मरम्मत करवाने के आदेश दिए थे। कई दिन बीत जाने के बाद भी जब कोई मदद नहीं मिली तो पीड़ित परिवार निगम के चक्कर लगाने को मजबूर हो गया, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी है के इन गरीब परिवारों की तरफ मदद करना तो दूर इनकी सुद तक नहीं ले रहे है।

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