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मप्र विधानसभा में ‘बंटाढार’ शब्द को बहाल करने की मांग

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया। सत्र शुरू होते ही हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष ने आदिवासियों के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर गया। हंगामे के बीच ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी। खास बात यह रही कि सदन में जिन शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना था, उन्हीं शब्द का इस्तेमाल हुआ। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। साल 2003 के चुनाव में दिग्विजय सिंह के खिलाफ जो बीजेपी का हथियार बना, उसी शब्द को सदन में बोलने की अनुमति विधायकों ने स्पीकर से मांगी, क्योंकि सदन में संसदीय शब्दों की किताब प्रकाशित होने के बाद अब उसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी विधायकों ने संसदीय शब्दों में से बंटाढार और नक्सलवादी जैसे शब्दों को विलोपित किए जाने पर आपत्ति जताई है।

कांग्रेस सरकार की याद दिलाता है बंटाढार

बीजेपी विधायक व पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा समेत कई विधायकों ने विधानसभा स्पीकर से मुलाकात कर बंटाढार और नक्सलवादी शब्दों को बहाल करने की मांग की है। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि दिग्विजय सरकार के 10 साल के कार्यकाल में जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया था बंटाढार शब्द। य‍ह शब्द कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की याद दिलाता है। ऐसे में बंटाढार शब्द को दोबारा बहाल किया जाए।

नक्सलवाद शब्द भी बहाल हो

रामेश्वर शर्मा ने नक्सलवाद जैसे शब्द को भी हटाने पर आपत्ति जताई है। बीजेपी विधायक का कहना है कि अभी भी छत्तीसगढ़ के कई जिलों में नक्सलवादी गतिविधियां हो रही हैं, ऐसे में यदि नक्सलवादियों को नक्सलवादी कहकर न पुकारा जाए तो उसकी जगह किस शब्द का इस्तेमाल होगा। ऐसे में नक्सलवाद और नक्सलवादी शब्द को भी बहाल किया जाए।

जनभावनाएं कहां से प्रकट होंगी?

भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने बताया कि इन शब्दों को बहाल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को एक पत्र लिखकर इस पुस्तक पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है, क्योंकि लोक व्यवहार, लोक वचन और लोक चरित्र को असंसदीय कर देंगे तो जनभावनाएं कहां से प्रकट होंगी? उन्होंने बताया कि चार अन्य विधायकों ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

तो क्या हम सदन में अपशब्द बोलते?

बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि यदि किताब नहीं छपती, तो क्या हम सदन में अपशब्द बोलेते? यह किताब इस ओर इशारा कर रही है कि विधायक का आचरण सदन में कैसा होना चाहिए। 2003 के चुनाव में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बंटाढार शब्द को बीजेपी का हथियार बनाया था।

1161 शब्द हो गए हैं असंसदीय

विधानसभा सचिवालय ने संसदीय शब्द व वाक्यांश संग्रह किताब तैयार की है। इसमें 1954 से अब तक के इतिहास में सदन में विधायकों द्वारा बोले गए 1161 शब्दों को अससंदीय घोषित किया गया है। इनमें चोर, उचक्का, 420, झूठ, चोर, पागल, बकवास, भ्रष्ट, शैतान, लफंगा जैसे शब्द शामिल हैं। ये शब्द सदन के अंदर मंत्री और विधायकों के संबोधन व आरोप-प्रत्यारोप के लिए प्रतिबंधित किए गए हैं।

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