Mradhubhashi
Search
Close this search box.

जंगल में मंगल : कूनो नेशनल पार्क से मिली खुशखबरी, मादा चीता सियाया ने दिया चार शावकों को जन्म

जंगल में मंगल : कूनो नेशनल पार्क से मिली खुशखबरी, मादा चीता सियाया ने दिया चार शावकों को जन्म

श्योपुर। मप्र के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में शुरू किया गया चीता प्रोजेक्ट सफल होता नजर आ रहा है। यहां नामीबिया से लाई गई मादा चीता सियाया ने बुधवार को चार शावकों को जन्म दिया।

इन शावकों का जन्म इस प्रोजेक्ट के लिए सकारात्मक संकेत है। हालांकि इस प्रोजेक्ट को दो दिन पहले तब बड़ा झटका लगा था जब एक अन्य मादा चीता साशा की मौत हो गई थी। फिलहाल इस घटना की जांच जारी है।
चार चीता शावकों का जन्म संकेत देता है कि कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीते यहां के माहौल में पूरी तरह से ढल गए हैं। इसे एक संयोग ही कहा जा सकता है कि 17 सितंबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी के 72वें जन्मदिवस के मौके पर कूनो पार्क में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा गया था। साथ ही देश में सात दशक बाद अब पहली बार चार चीतों का जन्म हुआ है। देश में चीतों की प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

कूनो में चीतों की संख्या 23 हुई
कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए 8 चीते छोड़े गए थे। इसके बाद हाल ही में 18 फरवरी को यहां दक्षिण अफ्रीका से लाए गए और 12 चीतों को छोड़ा गया था। दोनों जत्थों में आए इन चीतों में नर और मादा शामिल हैं। चार शावकों के जन्म के बाद अब कूनो में चीतों की संख्या 23 हो गई है।

सियाया की हो रही थी खास देखभाल
कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने बताया कि सियाया के गर्भवती होने की जानकारी मिलने के बाद से ही उसकी विशेष देखभाल शुरू कर दी गई थी। इसके लिए एक विशेष टीम तैनात की गई थी। इस देखभाल के बीच ही बुधवार को उसने चार शावकों को जन्म दिया। सभी शावक पूरी तरह सुरक्षित और स्वस्थ हैं। उनकी विशेष निगरानी की जा रही है।

सीएम ने जताई खुशी
कूनो में चार चीतों के जन्म पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर खुशी जाहिर करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और प्रयासों से चीतों की सुखद वापसी भारत में हुई है। मप्र चीता स्टेट बना है। अब चीता परिवार में चार शावकों के आगमन से हम समस्त मध्यप्रदेशवासी हर्षित एवं आनंदित हैं।
वहीं c मंत्री भूपेंद्र यादव ने मप्र में चीतों के जन्म को अमृत काल के दौरान भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बताया। उन्होंने प्रोजेक्ट चीता की पूरी टीम को चीतों को अथक प्रयासों के लिए बधाई दी।

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पहल
1952 में चीता भारत से विलुप्त प्राय हो गया था। देश के आखिरी चीते की मृत्यु वर्तमान में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी। 70 साल के बाद एक बार फिर दूसरे महाद्वीप से चीतों को लाकर भारत में संरक्षण देना भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का हिस्सा है। इसके सुखद परिणाम आने लगे हैं।

नामकरण के लिए जनता से लेंगे सुझाव

सियाया से जन्मे चारों चीता शावकों का जल्द ही नामकरण होगा। वनमंत्री विजयशाह ने कहा कि इनके नाम जनता की पसंद पर आधारित होंगे। इसके लिए प्रदेश की जनता से ही सुझाव लिए जाएंगे। जो बेस्ट होगा, वो नाम रखा जाएगा। बेहतर नाम सुझाने वाले लोगों को पुरूस्कृत भी किया जाएगा।

साशा की मौत पर उठे सवाल
कूनो में सोमवार को नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक मादा चीता साशा की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता और अनुभव की जानकारी मांगी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट