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पंडोखर और बागेश्वर सरकार में कई समानता, लेकिन पर्चा बनाने का तरीका अलग-अलग, जानिए कौन है बेहतर

पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने-अपने दरबार में लोगों के मन की बात बताकर खूब सुर्खियां बंटोर रहे हैं। पंडोखर के गुरुशरण शर्मा की उम्र 40 और धीरेंद्र शास्त्री की 26 साल है। पंडोखर सरकार 32 साल से दरबार लगाने का दावा करते हैं। धीरेंद्र शास्त्री बीते 3 साल में सुपर हिट हुए हैं। धीरेंद्र शास्त्री की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता के बाद पंडोखर दरबार से उन्हें इशारों ही इशारों में चुनौती दी जा रही है।

प्रेम प्रसंग पर दोनों करते हैं खुलकर बात

दोनों दरबार में एक बात बड़ी कॉमन है। दोनों महाराज दरबार में आने वालों को उनके प्रेम प्रसंग की जानकारी बड़े आत्मविश्वास से देते हैं। दोनों ही बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के नाम बता देते हैं। धीरेंद्र शास्त्री तो कई बार ये भी बता देते हैं कि गर्लफ्रेंड के साथ कहां गए थे। दोनों ही अपने दरबारों में प्रेम प्रसंग की बात बताकर पोल खोलने की बात कहते हैं। धीरेंद्र बड़े खुश होकर कहते हैं वे लवेरिया का पूरा चक्कर बता सकते हैं। पंडोखर मां से ही कह देते हैं कि तुम्हारी बेटी का लव चल रहा है। किसी युवती से भी वे यह कहने में संकोच नहीं करते कि तुम्हारा एक से ज्यादा प्रेम प्रसंग चल रहा है।

दोनों दरबार में सबसे बड़ा अंतर पर्चे का

दोनों के दरबार में सबसे पहला अंतर है पर्चे का। पंडोखर दावा करते हैं कि उनके दरबार में कोई सेवादार आपका नाम-पता नहीं पूछता। न ही पहले पर्चा बनता है। हम तो रेंडमली लोगों को बुलाते हैं और फिर मन की बात पर्चे पर लिखते हैं। बागेश्वर धाम में आपको दरबार में शामिल होने के लिए पर्चे में पहले पूरी जानकारी लिखनी पड़ती है। इसके बाद इन पर्चे की लॉटरी निकलती है। चुनिंदा 50 नामों को ही बुलावा भेजा जाता है। सेवादारों का फोन आने के बाद उसी काउंटर से एक टोकन लेना होता है। इसके बाद दरबार में एंट्री मिलती है। हालांकि, दिव्य दरबार में धीरेंद्र शास्त्री भी रेंडमली कुछ भक्तों को बुलाकर उनके मन की बात पर्चे पर लिखते हैं।

पंडोखर की तरह धीरेंद्र शास्त्री नहीं बताते तारीख

पंडोखर सरकार अपने दरबार से दावा करते हैं कि वे सिर्फ भूत की बात नहीं करते, बल्कि समाधान भी बताते हैं। तारीख भी बताते हैं। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ऐसे तारीख नहीं बताते। वे मन की बात पर्चे में लिखने का दावा जरूर करते हैं, लेकिन भविष्य में क्या होगा इस पर बहुत स्पष्टता से नहीं बोलते। वे ये जरूर बताते हैं कि आज से ही फायदा होना शुरू हो जाएगा। 2 साल में ये पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

पंडोखर में लगता है पैसा, बागेश्वर धाम में फ्री एंट्री

पंडोखर सरकार खुलकर बोलते हैं कि दरबार में अर्जी लगाने के लिए वे दान लेते हैं। जितना ज्यादा पैसा उतनी जल्दी अर्जी लगती है। ब्रीफकेस लेकर आएंगे तो बायपास से एंट्री मिलेगी। गुरुशरण शर्मा कहते हैं कि दान में मिलने वाले पैसों से वे धाम में भक्तों की सुविधा के लिए व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि वे पैसे नहीं लेते। हालांकि, उन्होंने बागेश्वर धाम में जगह-जगह दान पेटियां बना रखी हैं। बैंक अकाउंट नंबर भी डिस्प्ले किए हुए हैं।

पंडोखर अपनी पर्चियां एडवांस में लिखकर रखते हैं। कहते हैं कि पर्चे पर जिसका नाम है, वही व्यक्ति सामने आएगा। वे भक्तों के मन की बात को पर्चे में कैमरे पर भी दिखाते हैं, ताकि किसी के मन में संदेह न हो। जबकि धीरेंद्र शास्त्री जिसका पर्चा लिखते हैं, उसे ताकीद करते हैं कि वे किसी को ये पर्चा न दिखाएं। ये दोनों दरबार के पर्चे में मूल अंतर है।

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