Makar Sankranti 2022: सनातन संस्कृति में मकर संक्राति पर्व का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इस तिथि का बड़ा गुणगान किया गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फल प्रदान करता है। इसलिए इस दिन सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग यथाशक्ति दान-पुण्य करते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
सूर्य का होता है राशि परिवर्तन
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ दिन बड़े होते जाते हैं और रात छोटी होती जाती है। इस वर्ष 14 जनवरी शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विशिष्ठ योग-संयोग का सृजन हो रहा है, इसलिए मकर संक्रांति विशिष्ठ संयोग मे मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का प्रारंभ रोहिणी नक्षत्र में हो रहा है जो संध्याकाल में 8.18 तक रहेगा। इसके अलावा मकर संक्रांति पर ब्रह्म योग और आनंदादि योग भी बनने जा रहे हैं। जिनसे मनुष्य के जीवन में आने वाली विपदाएं दूर होकर कार्यों में सफलता हासिल की जा सकती है। शांतिदायक कार्यों को आरंभ करने के लिए ब्रह्म योग को और जीवन के अवरोधों को दूर करने के लिए आनंदादि योग को अत्यधिक शुभ माना गया है। इन दुर्लभ योगों में किए गए कार्य विघ्न-बाधाओं से मुक्त और सफलता देने वाले होते हैं।
मकर संक्रांति 2022 का शुभ मुहूर्त
14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल 3 घंटा 02 मिनट का है। जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 45 मिनट तक है। मकर संक्रांति का महापुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है जो दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 28 मिनट तक है।