Makar Sankranti 2020: सूर्य आराधना का पर्व मकर संक्रांति का शास्त्रोक्त महत्व है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। मकर संक्रांति को दान,पुण्य और स्नान का खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पुण्यदायी कार्य करने के लिए मनोकामना पूर्ण होती है और पुण्यफल प्राप्त होता है।
पवित्र नदी, सरोवर में करें स्नान
मकर संक्रांति के दिन गंगा या पवित्र नदी, सरोवर में स्नान करने का बड़ा महत्व है। श्रद्धालु दूर-दराज से गंगा और पवित्र नदियों, सरोवरों और कुंडों के तटों पर स्नान के लिए पहुंचते हैं। कुछ लोग घर पर गंगाजल को स्नान के जल में मिलाकर स्नान कर पुण्य कमाते हैं। स्नान के पश्चात सूर्य आराधना करने से सभी मनोकामनाओं पूर्ण होती है।
श्रीहरी और देवी लक्ष्मी की करें पूजा
मकर संक्रांति के दिन महादेव, श्रीहरी और देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन दान पुण्य करें और गरीबों, जरूरतमंदों को कपड़ों और अन्न का दान करें। तिल के दान का इस दिन बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन दिन झाड़ू खरीद कर लाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। वरिष्टजनों का आशीर्वाद लें और उनका आदर,सम्मान करें। मकर संक्रांति के दिन सोने-चांदी के जेवरों को गंगाजल या शुद्ध जल से धोएं और गहनों पर हल्दी लगाएं। इससे धन के भंडार भरते हैं। ब्राह्मणभोज का आयोजन करें और इस भोज में खिचड़ी को शामिल करें। ब्राह्मणों और निर्धनों को यथाशक्ति दान दें।
काले कपड़ों और मादक पदार्थों का त्याग करें
मकर संक्रांति पुण्यफल प्राप्त करने का दिन है इसलिए इस दिन सौम्य व्यवहार रखें और किसी से भी अभद्रता न करें। सभी से आदरपूर्वक व्यवहार करें और सम्मान दें। पेड़-पौधों की सेवा करें उनको किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाए। इस दिन हरी सब्जियों, फल आदि के सेवन का निषेध है। फूल-पत्तियों को न तोड़ें। तुलसी को इस दिन स्पर्श न करें। बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करने से भगवान सूर्य और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। काले कपड़ों को धारण न करें। शराब, मांसाहार आदि त्याज्य पदार्थों का सेवन न करें। दान देते समय मन प्रसन्न रहना चाहिए और दान खुशी से करना चाहिए। दुर्भावना से किया गया दान व्यर्थ चला जाता है।