Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। मकर संक्राति के दिन शास्त्रोक्त कर्म दान-पुण्य करने के साथ सूर्य आराधना की जाती है। इस दिन तिल के व्यंजन बनाने और उनका सेवन करने का भी महत्व है। संकर संक्रांति के अवसर पर देशभर में पतंग उड़ाई जाती है और कई जगहों पर पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। बच्चों और बड़ों सभी में पतंग की दिवानगी छाई रहती है और सूर्योदय के साथ इसका जुनून सभी के सिर पर सवार हो जाता है।
तन्दनान रामायण में है श्रीराम के पतंग उड़ाने का वर्णन
पतंग की पंरपरा शास्त्रों से जुड़ी हुई है और इसका संबंध भगवान श्रीराम से बताया जाता है। तमिल भाषा की तन्दनान रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पतंग उड़ाने का उल्लेख मिलता है। तन्दनान रामायण के अनुसार प्रभू श्रीराम ने मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा का प्रारंभ किया था। मान्यता है कि की श्रीराम ने जिस पतंग को उड़ाया था वह इंद्रलोक में चली गई थी। रामचरित मानस में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम की पतंग जब इंद्रलोक में चली गई थी तो इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी को वह काफी पसंद आई और उस पतंग को उसने पास इस उद्देश से रख लिया कि जिसकी पतंग है वह पतंग को लेने के लिए आएगा ही।
इंद्रलोक पहुंच गई थी पतंग
प्रभू श्रीराम ने भक्त हनुमान को पतंग का पता लगाने के लिए भेजा। हनुमानजी इंद्रलोक में गए और जयंत की पत्नी से पतंग वापस करने का निवेदन किया। तब उन्होंने कहा कि वह श्रीराम के दर्शन के बाद ही पतंग को वापस करेगी। हनुमानजी ने श्रीराम के पास जाकर उनको जयंत की पत्नी की इच्छा से अवगत करवाया। श्रीराम ने चित्रकूट में दर्शन देने की बात कह कर हनुमान को वापस पतंग लेने के लिए भेजा। श्रीराम के संदेश से संतुष्ट होकर जयंत की पत्नी ने हनुमान को पतंग वापस कर दी।
पतंग का सेहत से भी है संबंध
पतंग उड़ाने की परंपरा को सेहत से भी जोड़ा जाता है। मकर संक्रांति के समय सर्दी का काफी जोर रहता है और ऐसे में लोग पतंग उड़ाने के लिए सुबह से ही छतों या मैदानों में चले जाते हैं। पतंग उड़ाने से शरीर का व्यायाम होता है और इससे शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है। पतंग खुले में उड़ाई जाती है, जिससे सूर्य की किरणों के संपर्क में व्यक्ति ज्यादा समय तक रहता है, जिससे शरीर को विटामिन डी भी मिलता है।