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Mahatama Gandhi: भारत में पहला केस हार गए थे, जानिए गांधीजी से जुड़े कुछ रोचक पहलू

नई दिल्ली। राष्ट्र आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दे रहा है। आज ही के दिन 30 जनवरी 1948 को उनकी गोली मारकर हत्य़ा कर दी गई थी। उनके अहिंसक आंदोलन से दुनिया प्रेरणा लेता है और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर विश्वशांति की कामना करता है। महात्मा गांधी के पिता पोरबंदर रियासत के राजा के दरबार में दीवान थे। अपनी माता से उन्होंने धार्मिक परंपरा और अहिंसा का पाठ सीखा था।

पोरबंदर से गए थे राजकोट

बेहतर शिक्षा के लिए मोहनदास के पिता अपने परिवार को पोरबंदर से राजकोट ले आए। 13 साल की उम्र में उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई। राजकोट की रहने वाली कस्तूरबा, मोहनदास से एक साल बड़ी यानी 14 बरस की थीं, लेकिन धार्मिक संस्कारों के बावजूद उन्होंने चोरी करने, शराब पीने और मांसाहार करने जैसे कई काम शुरू कर दिए थे। इसके बावजूद उन्होंने स्वयं को सुधारा और जिंदगी को नई दिशा दी। इस बात का वर्णन उन्होंने अपनी किताब ‘सत्य के प्रयोग’ में किया है।

इनर टेम्पल से की कानून की पढ़ाई

बम्बई के भावनगर कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनको लंदन के मशहूर इनर टेम्पल में क़ानून की पढ़ाई करने जाने का ऑफर मिला। पढा़ई पूरी करने के बाद मोहनदास गांधी भारत लौटे और वक़ालत करने लगे। वो अपना पहला मुक़दमा हार गए और इसी दौरान एक अंग्रेज़ अधिकारी के घर से उनको बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उनको दक्षिण अफ्रीका में काम करने का प्रस्ताव मिला, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया।

1915 में भारत वापसी के बाद स्वतंत्रता आदोलन में हिस्सा लिया और देश को आजाद करवाया। भारत के बंटवारे का जहर देश में इस हद तक घुल गया कि हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे और पाकिस्तान को पैसे देने की वजह से उनकी हत्या कर दी गई।

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