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Magh Mas 2021: माघ मास में शीतल जल से स्नान करने से मिलते हैं यह फल

माघ मास में कई प्रमुख तिथि और त्यौहार मनाए जाते हैं।

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Magh Mas 2021: माघ मास हिन्दू पंचांग का ग्यारहवां महीना होता है। पौष मास की समाप्ति पर माघ माह का प्रारंभ होता है। वैदिक ग्रंथों में माघ मास के महात्म्य का वर्णन मिलता है। माघ मास का नाम मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा से प्रारंभ होने के कारण मधा रखा गया। इसी तरह पौष मास का पुष्य नक्षत्र से संबंध है।

पद्म पुराण में माघ मास का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि कल्पवास के दौरान स्नान, दान और तप से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस मास में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुनने के महत्व का वर्णन भी मिलता है।माघ मास में कई पुण्यफल प्रदान करने वाले त्यौहार मनाए जाते हैं। इसमें तिल चतुर्थी, वसंत पंचमी, रथसप्तमी, भीष्माष्टमी प्रमुख है। माघ शुक्ल चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहा जाता है। माघ कृष्ण द्वादशी को यमदेव ने तिलों का निर्माण किया था और अयोध्यापति दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। इसलिए मान्यता है कि इस दिन मानव को उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों का सेवन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।

‘माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।’
‘प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥’

पौराणिक आख्यान के अनुसार इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता हैं। पद्मपुराण के अनुसार माघ मास में आराधना करने से भी भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में शीतल जल में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी तरह के पापों से मुक्ति और भगवान लक्ष्मीनारायण का सानिध्य प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।

माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे।
ब्रह्माविष्णु महादेवरुद्रादित्यमरूद्गणा:।।

माघ महीने में प्रयाग संगम तट पर कल्पवास करने का बड़ा महत्व है। माघ मास की अमावास्या को प्रयागराज में स्नान से अनंत गुना पुण्यफल की प्राप्ति होती हैं।संगम स्नान करने वाला मानव समस्त पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त करता है क्योंकि ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य और मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज में संगम पर विचरण करते हैं।