भोपाल। अवैध शराब कि बिक्री रोकने के लिए प्रदेश में शराब की दुकानों पर सितंबर से खरीदी पर कैश मेमो मैन्युअल दिए जाने वाले आदेश को शराब दुकान संचालकों ने ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि एमपी में शराब बेचने पर बिल देना अनिवार्य किया गया है, मगर शहर के वाइन शॉप संचालक उपभोक्ताओं को शराब का बिल नहीं दे रहे हैं। जब शराब संचालकों से इसका कारण जानना चाहा तो उनका तर्क था कि हम बिल देने के लिए तैयार हैं मगर ग्राहक ही बिल लेने में आनाकानी करते हैं। शराब दुकानदार को हर नग यानी छोटी, बड़ी बोतल का कैश मेमो देना होगा। अब आबकारी अफसरों के सामने चुनौती यह है कि शहर की बड़ी शराब दुकानों पर पीक समय में हर ग्राहक को ठेकेदार बिल देंगे या नहीं। इसका सिस्टम तैयार करने के लिए अफसर जुटे हुए हैं। नए आदेश के बाद भी शराब कारोबारियों की मनमानी का अंदेशा था जो देखने के लिए मिल रहा है। इसलिए विभाग ने कड़ी मानीटरिंग का दावा किया है। ठेकेदारों ने कैश मेमो छपवा लिए हैं। जिन्हें एरिया आबकारी अफसर से स्वीकृत भी कराया हैं मगर वह केश मेमो शो पीस बनकर रह गया है।
आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने 19 अगस्त को आदेश जारी किया था, जिसमें शराब दुकानों से विक्रय के समय कैश मेमो दिए जाने को अनिवार्य किया है। एक सितंबर से शराब दुकानदार को ग्राहक को शराब का बिल देना होगा। लाइसेंस धारी शराब विक्रेता कैश मेमो प्रिंट कराकर उसका प्रमाणीकरण कराएंगे। मग़र आबकारी आयुक्त वह आदेश सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है।
मृदुभाषी के लिए भोपाल से मोहम्मद ताहिर खान की रिपोर्ट