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Lakhimpur violence: सरकार और किसानों में हुआ समझौता, मुआवजा, नौकरी के साथ होगी निस्पक्ष जांच

Lakhimpur violence: लखीमपुर हिंसा को लेकर मचे बवाल के अब थमने के आसार नजर आ रहे हैं। छह दौर की वार्ता के बाद सरकार किसानों की मांग पर सहमत हो गई है। इसके तहत योगी सरकार मृतकों के परिवार को 45 लाख रुपए का मुआवजा देगी और मृतक किसान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। हिंसा में घायलों को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इस सारे मामले की जांच करेगें। लेकिन जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, उनके खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई भी होगी। वार्ता में सरकार की ओर से एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार और अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी और किसानों की ओर से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत शामिल हुए थे।

भिंडरांवाले की तस्वीर वाली टीशर्ट पर उठे सवाल

वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीर वाली टीशर्ट पहने युवक की तस्वीर को लेकर पूरे आंदोलन पर सवाल उठा रही है। भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘किसान का आतंकी भिंडरावाले से क्या लेना देना? अगर भिंडरावाला से लेना है तो किसान कैसे?’सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमे भिंडरावाले की तस्वीर वाली टीशर्ट पहने युवकों को गाड़ियों में तोड़फोड़ करते हुए दिखाया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन पर उठाए सवाल

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान महापंचायत नाम के संगठन की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब लखीमपुर खीरी जैसी घटनाएं हो जाती हैं तो उस वक्त कोई जिम्मेदारी क्यों नहीं लेता। किसान महापंचायत ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगी थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या प्रदर्शन करने का हक मूल अधिकार है या नहीं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि जब कानूनों के अमल पर रोक है तो विरोध किस बात का।

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