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कृष्ण के लिए धन लेकर उज्जैन आए थे कुबेर सांदीपनि आश्रम में विराजित है 1100 साल पुरानी प्रतिमा

उज्जैन। धनतेरस पर कुबेर देवता की विशेष पूजन का महत्व होता है। देशभर में कुबेर की बैठी हुई तीन प्रतिमाएं है जिसमे से मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक प्रतिमा सांदीपनि आश्रम में स्थापित है जहाँ सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है।

सनातन धर्म में कुबेर को धनाधिपति माना गया है। विश्व में तीन प्रतिमाएं कुबेर जी की बैठी हुई मुद्रा में है। जिनमें एक मूर्ति उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में कुबेर जी की स्थापित है। एक मूर्ति उत्तर में बद्रीनाथ और दूसरी मूर्ति दक्षिण में तिरुपति बालाजी में स्थापित है। उज्जैन में स्थापित बेसाल्ट से बनी कुबेर की प्रतिमा शुंग काल की है। मंदिर में कुबेर की प्रतिमा, भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा के साथ स्थापित की गई थी।

मंदिर के द्वार पर खड़े नंदी की अद्भुत प्रतिमा भी है। बता दें, सांदीपनि आश्रम में श्रीकृष्ण बाल्य काल में शिक्षा ग्रहण करने आए थे। शिक्षा पूरी होने पर श्री कृष्ण द्वारा कुबेर जी को दक्षिणा देने के लिए धन लेकर बुलाया था लेकिन गुरु सांदीपनि ने दक्षिणा लेने से मना कर दिया था इसके बाद तभी से कुबेर देवता यहीं पर विराजमान है। सांदीपनि आश्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

कुबेर मंदिर के पंडित शैलेंद्र व्यास ने बताया कि जब द्वारका नगरी को बनाने के लिए धन वैभव की जरूरत पड़ी, तो भगवान श्रीकृष्ण खुद उन्हें लेने उज्जैन सांदीपनि आश्रम आए थे। उन्हें ले जाकर द्वारका नगरी का निर्माण किया था। सोने की लंका का निर्माण भी कुबेर ने ही किया था। बता दें कि धन के देवता कुबेर के इस प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर- दराज से लोग आ रहे है। उज्जैन के अलावा मथुरा, पटना और राजस्थान के भरतपुर में भी कुबेर की प्रतिमाएं हैं।

उज्जैन से धर्मभाषी के लिए अमृत बैंडवाल की रिपोर्ट।

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