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ICJ में चल रहा है मामला, जानिए म्यांमार में तख्ता पलट करने वाले जनरल के बारे में

यंगून। सोमवार तड़के जब म्यांमार के लोग नींद के आगोश में समाए हुए थे. उस वक्त वहां तख्तापलट हो चुका था। म्यांमार की सेना ने सत्ताधारी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेताओं को हिरासत में लेकर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। स्टेट काउंसलर आंग सान सू को पद से हटा दिया गया था और म्यांमार सेना के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया था।

1962 में हुआ था सैन्य तख्तापलट

म्यांमार की राजनीति में सेना का दबदबा हमेशा ही रहा है। 1962 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद करीब 50 साल तक सेना ने देश पर पर राज किया । 2008 में सेना ने म्यांमार का संविधान बनाया और राजनीति में अपना रोल हमेशा के लिए तय कर दिया। संसदीय सीटों में 25 फीसद कोटा सेना के लिए रखा गया। इसके साथ ही रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और सीमा मामलों के मंत्रियों की नियुक्ति करने का अधिकार भी सेना के हाथों में रहा।

2011 में बने म्यांमार सेना प्रमुख

64 साल के म्यांमार के आर्मी चीफ मिन आंग लाइंग ने यंगून यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई की। मिन कम बोलना पसंद करते हैं और खुद को चर्चा से दूर रखते थे। जब मिन के साथी प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे थे उन्होंने देश की मिलिटरी यूनिवर्सिटी डिफेंस सर्विसेज एकेडमी (डीएसए) में 1974 में दाखिला लिया था और धीरे-धीरे पर लगातार उन्हें प्रमोशन मिलते रहे। मिन आंग लाइंग साल 2011 में म्यांमार सेना प्रमुख बने।

रोहिंग्या पर अत्याचार का है आरोप

साल 2017 में म्यांमार की सेना की कार्रवाई की वजह से लाखों रोहिंग्या मुस्लिम देश छोड़कर बांग्लादेश भाग गए। संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के मुताबिक म्यांमार की सेना ने बड़े पैमाने पर हत्याएं, गैंग रेप, आगजनी को अंजाम दिया गया। इसके बाद अमेरिका ने साल 2019 में मिन आंग लाइंग और उनके तीन अन्य सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में भी मिन के खिलाफ केस चलाए गए। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उनके खिलाफ अभी भी मामला चल रहा है।

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